एक ख्याति प्राप्त खूबसूरत, चित्र
जिसे देख सब मंत्रमुग्ध हो
उसे निहार रहे थे।
चित्र और चित्रकार की चित्रकारी
के कसीदे पड़े जा रहे थे।
चक्षुओं का क्या कहना
नजरें गड़ाये मानों सुंदरता
अपने में समा लेना चाहते थे
मानों दुबारा इतनी सुंदरता देखने
को मिले न मिले
जिसे देख वाह!वाह!
स्वतः ही निकल जाता हो।
आप जानना नहीं चाहेंगे
उस चित्र का चित्रकार कौन है
उस चित्र के पीछे का सच।
कोई भी चित्र यूँ ही खूबसूरत नहीं
बन जाता है।
कभी वो भी खाली कैनवास ,यूँ।
बेतरबीब पड़े रंग ,कहीं रंग ,कहीं
केनवास ,सब नीरस, अस्त, व्यस्त
कभी कहीं किसी के नीरस मन में
में उपजा एक खूबसूरत ख्याल ।
उस ख्याल ने लगाये विचारों के पंख
बहुत फडफ़ड़ाएं उसके पंख
कभी इस दिशा कभी उस दिशा
जीवन मे खूबसूरती की चाह थी
रंगों में सामंजस्य बनाना था
कई बार बिखरे ,मिटे ,आखिर
कड़ी मेहनत के बाद एक खूबसूरत
तस्वीर तैयार हुयी जो समाज के लिये
मिसाल बन गयी
तारीफ चित्रकारी की हुई ,चित्रकार को
गर्वान्वित महसूस हुआ।