आखिर कब तक **
बहुत हो गया चूहे बिल्ली का खेल
ये तो वही आलम है ,घर मे शेर ,बाहर गीदड़
बड़ी-बड़ी बातें करनी तो सभी को आती है
पकड़ो -पकड़ो चिल्लाने से कुछ नही होगा
हत्यारे तुम्हारे ही घरों में घुसकर तुम्हें मार रहे है ।
वाह! वाह! मरते रहो ,मरणोपरांत तुम्हे सम्मान मिलेगा
बड़े-बड़े नेता तुम्हारी मृत्यु पर राष्ट्रीय शोक मनायेंगे
बड़ी-बड़ी योजनाएं बनेगी ,आतंकवादी यों को जड़ से मिटाने की
तुम्हारे नाम पर तुम्हारे परिवार वालों को सहायता राशी भी मिलेगी।
बस-बस-बस बस करो क्यों अपने ही देश की जड़ों को खोखला कर रहे हो ।
अब बातें करने का समय बीत गया है ,कहते भी हैं जो *लातों के भूत
होते है वो बातों से नही मानते *
तुम्हारी सादगी को तुम्हारी शराफ़त को तुम्हारी कमजोरी समझ
आँकवादी तुम पर वार-वार कर रहे है ।
आखिर कब तक कितने माँ के लाल शहीद होंगे ,
घर के भेदी अब ना बचने पायें।
उठाओ बंदूके निशाना साधो ,एक एक आतंकवादी का
अब करना है सफाया ।
बहुत हो गया चूहे बिल्ली का खेल
ये तो वही आलम है ,घर मे शेर ,बाहर गीदड़
बड़ी-बड़ी बातें करनी तो सभी को आती है
पकड़ो -पकड़ो चिल्लाने से कुछ नही होगा
हत्यारे तुम्हारे ही घरों में घुसकर तुम्हें मार रहे है ।
वाह! वाह! मरते रहो ,मरणोपरांत तुम्हे सम्मान मिलेगा
बड़े-बड़े नेता तुम्हारी मृत्यु पर राष्ट्रीय शोक मनायेंगे
बड़ी-बड़ी योजनाएं बनेगी ,आतंकवादी यों को जड़ से मिटाने की
तुम्हारे नाम पर तुम्हारे परिवार वालों को सहायता राशी भी मिलेगी।
बस-बस-बस बस करो क्यों अपने ही देश की जड़ों को खोखला कर रहे हो ।
अब बातें करने का समय बीत गया है ,कहते भी हैं जो *लातों के भूत
होते है वो बातों से नही मानते *
तुम्हारी सादगी को तुम्हारी शराफ़त को तुम्हारी कमजोरी समझ
आँकवादी तुम पर वार-वार कर रहे है ।
आखिर कब तक कितने माँ के लाल शहीद होंगे ,
घर के भेदी अब ना बचने पायें।
उठाओ बंदूके निशाना साधो ,एक एक आतंकवादी का
अब करना है सफाया ।
रितु, असल में यह बात आज हर देशवासी के मन में हैं। काश, यह बात हमारे नेताओं के कानों तक पहूंचे...
जवाब देंहटाएंजी ज्योति जी आभार बात तो सही है
जवाब देंहटाएंपर मिलकर आवाज बुलंद करने का समय अब आ चुका है ।
आदरणीय शुक्रिया
बच्चन की पंक्तियों का स्मरण हो आया:-
जवाब देंहटाएं" शेरों की मांद में
आया आज स्यार.
जागो, फिर एक बार.
आभार vishwa mohan ji .
जवाब देंहटाएंआमीन ... अब जागने का समय है ... समाज को जागृत होना होगा ... अगर अभी नहीं तो कभी नहीं ....
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिगाम्बर नवासा जी आप सही कह रहे हैं आभार।
जवाब देंहटाएंसाहस और वीरता के भावों को जगाती है आपकी रचना !
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