" दिव्य आलौकिक प्रकाश का उत्सव "

दीपवाली   प्रकाशोत्सव्  ,दीपों  का त्यौहार
भव्य  स्वागत की , तैयारीयाँ .......
परमात्मा के आगमन का हर्षोल्लास ,
वह परमात्मा जो सवयम् ही है ,दिव्य ,अलौकिक प्रकाश .......
चलो इस बार दीपावली कुछ अलग ढंग से मानते हैं ।
घर आँगन  ,की स्वच्छ्ता के संग ,
दिलों के वैर ,को भी मिटाते हैं ।
बिन बात के शिकवे ,शिकायतें सब भूल जातें हैं ।
दिलों में परस्पर प्रेम का दीपक जलाते हैं ,भाईचारा बढाते हैं ,
एकता में अनेकता की जोत जलाते  हैं ।
किसी गरीब के ,घर आँगन को रोशन कर आतें हैं ।
कुछ मिठाइयाँ भूखे बच्चों को खिला आते हैं 
कोई भूख ना रहे ,किसी के घर में भोजन की व्यवस्था कर आते है
 दीपाली त्यौहार है ,सौहार्द का प्रभू के स्वागत का ,
पठाखों के  धुँए से वातावरण को दूषित करने से बचातें हैं । 

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...