सदाबहार


फूल खिले हैं क्यारी - क्यारी 
प्रकृति की अनुपम चित्रकारी

माली ने भी की है खूब तैयारी 

वसुन्धरा हर्षित प्रसन्नचित फुलवारी

मौसम अनुकूल कोयल कूके मीठी बोली 

वातावरण में गूंजे प्रकृति होती संगीतमय सारी 

जल स्रोतों में पक्षी विहार

रंग बिरंगी तितलियों का संसार 

मानों प्रकृति का कर रहा हो श्रृंगार 

वादियों में रहे सदाबहार 

हरे भरे वृक्षों की कतार 

फलों फूलों से लदे रहे बागों में 

रहे सदाबहार अबकी बार सदा सर्वदा

खुशहाली हो सबके घर द्वार 

करते हैं यही दुआ प्रभु से आपार 

प्रकृति अद्भुत चित्रकार यूं ही करते 

रहना वसुन्धरा का श्रृंगार 

हम सब दृढ़ प्रतिज्ञ हो ले शपथ 

प्रकृति का संरक्षण हम सब का अधिकार ।।



 







आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...