उस पल उस "पदचाप" की आवाज सुनकर जो मेरा रक्तचाप बड़ा था ,वो रक्तचाप आज भी बड़ने लगता है जब वो पल मुझे याद आता है ।
आज भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं आखिर मुझे उस दिन इतना डर क्यों लगा , मैं इतनी डरपोक तो नहीं फिर भी ऐसा क्या हुआ उस दिन जो मैं भी डर गयी थी।
यह बात सच है की कोई भी मनुष्य कितना भी ब हादुर क्यों ना हो परन्तु उसके दिमाग के कोने में एक डर अवश्य छिपा होता है ।
यह बात सच है की कोई भी मनुष्य कितना भी ब हादुर क्यों ना हो परन्तु उसके दिमाग के कोने में एक डर अवश्य छिपा होता है ।
उस दिन लगभग रात्रि दो बजे की बात होगी, मुझे प्यास लगी थी ,यूं तो हर रोज रात्रि शयन से पहले मैं एक गिलास पानी अपने कमरे में रख लेती थी लेकिन उस ना जाने क्यों पानी रखना भूल गई ,प्यास बहुत तेज थी मूंह सूख रहा था मैं पानी लेने के लिए रसोई घर की और चल दी । हमारे घर में बालकनी से होकर सीढ़ियां ऊपर की और जाती हैं ,तभी मुझे सीढ़ियों में कुछ आवाज सुनाई दी पायल खनकने की ,मैंने न नजरअंदाज किया ,और अपना पानी लेकर पीने लगी , मैं पानी लेकर अपने कमरे में जा रही थी ,तभी सीढ़ियों में से कुछ गिरने की आवाज अाई और मैं डर के मारे कांप गई ।
अरे भाभी आप पानी लेने आयी थी , मैं भी अभी यहां से पानी लेकर गई जाते हुए जग का ढ़क्कन गिर गया था उसकी ही आवाज आई थी ।
चलो आप भी अपने कमरे में जाओ और मैं भी जाती हूं नींद आ रही है ,इतने में फिर से किसी के पदचापों की आवाज आई दोनो फिर डर गई शांति से हम उस आवाज को सुनने लगे की यह आवाज कहां से और किसकी है ,हमारे कान आवाज कहां से आ रही है महसूस करना चाह रहे थे ,तभी एक और कुछ अलग से आवाज आई ,हमने अपने जासूस दिमाग दौड़ाया ,दरवाजों की झिरियों से झांकने लगे ,सोचा डरना नहीं है ,अगर डर गए तो मर गए ,में और मेरी भाभी सीढ़ियों से बालकनी पर चड़ गए बालकनी से
छुपते- छीपाते हम ताका-झांकी के रहे थे ,तभी हमारी नजर सड़क पर घूम रहे कुत्ते पर पड़ी जिसने अपने मूंह में कुछ दबा रखा था ,जब वो उसे मूंह से निकलता उसमें से कुछ ढूंढने की कोशिश करता तब आवाज आती ।
इतने में पीछे से हाथ में डंडा लिए वही पद चाप करता जो हमने सुनी थी चौकीदार आ गया ,हमारी सांस में सांस अाई चलो कोई डर वाली बात नहीं ।
कुछ पल को पदचाप ने हमें डरा ही दिया था ।
वो हमारा चौकीदार था ।
अरे भाभी आप पानी लेने आयी थी , मैं भी अभी यहां से पानी लेकर गई जाते हुए जग का ढ़क्कन गिर गया था उसकी ही आवाज आई थी ।
चलो आप भी अपने कमरे में जाओ और मैं भी जाती हूं नींद आ रही है ,इतने में फिर से किसी के पदचापों की आवाज आई दोनो फिर डर गई शांति से हम उस आवाज को सुनने लगे की यह आवाज कहां से और किसकी है ,हमारे कान आवाज कहां से आ रही है महसूस करना चाह रहे थे ,तभी एक और कुछ अलग से आवाज आई ,हमने अपने जासूस दिमाग दौड़ाया ,दरवाजों की झिरियों से झांकने लगे ,सोचा डरना नहीं है ,अगर डर गए तो मर गए ,में और मेरी भाभी सीढ़ियों से बालकनी पर चड़ गए बालकनी से
छुपते- छीपाते हम ताका-झांकी के रहे थे ,तभी हमारी नजर सड़क पर घूम रहे कुत्ते पर पड़ी जिसने अपने मूंह में कुछ दबा रखा था ,जब वो उसे मूंह से निकलता उसमें से कुछ ढूंढने की कोशिश करता तब आवाज आती ।
इतने में पीछे से हाथ में डंडा लिए वही पद चाप करता जो हमने सुनी थी चौकीदार आ गया ,हमारी सांस में सांस अाई चलो कोई डर वाली बात नहीं ।
कुछ पल को पदचाप ने हमें डरा ही दिया था ।
वो हमारा चौकीदार था ।