*भारतीय संस्कृति
का घोर पतन
देवालय बंद
मदिरालय खुले *
*लोभ का प्रचण्ड
तांडव नशे में
धुत मानव*
*चूल्हा ठंडा
बाल नयन अश्रु
भोजन ताकते चक्षु*
*उच्च संस्कारों की
धरती पर नग्न नृत्य
हाय! निंदनीय
संस्कृति का चीरहरण*
*आधुनिकता के नाम पर
सभ्यता का ढोंग
मनुष्यता को लगाते
भद्दा दाग *
का घोर पतन
देवालय बंद
मदिरालय खुले *
*लोभ का प्रचण्ड
तांडव नशे में
धुत मानव*
*चूल्हा ठंडा
बाल नयन अश्रु
भोजन ताकते चक्षु*
*उच्च संस्कारों की
धरती पर नग्न नृत्य
हाय! निंदनीय
संस्कृति का चीरहरण*
*आधुनिकता के नाम पर
सभ्यता का ढोंग
मनुष्यता को लगाते
भद्दा दाग *