Ritu Asooja Rishikesh , जीते तो सभी है , पर जीवन वह सफल जो किसी के काम आ सके । जीवन का कोई मकसद होना जरूरी था ।परिस्थितियों और अपनी सीमाओं के अंदर रहते हुए ,कुछ करना था जो मेरे और मेरे समाज के लिए हितकर हो । साहित्य के प्रति रुचि होने के कारण ,परमात्मा की प्रेरणा से लिखना शुरू किया ,कुछ लेख ,समाचार पत्रों में भी छपे । मेरे एक मित्र ने मेरे लिखने के शौंक को देखकर ,इंटरनेट पर मेरा ब्लॉग बना दिया ,और कहा अब इस पर लिखो ,मेरे लिखने के शौंक को तो मानों पंख लग
**विचारों की सम्पदा **
**नैन से नैन कुछ इस तरह मिले
दिल के सारे हाल बयां हो गए
ना उनके लब हिले ना मेरे लब हिले
फिर भी नैनों ने दिल के सारे
राज खोल दिए
उनके नैनों में कुछ ऐसा जादू था
की हम उनके नैनों के समुंदर में
तैरते रह गए ,नैनों के समुंदर में
जस्बातों का सैलाब था
दिल का हाल सब नैनों में छिपा था
बिन बोले ही नैनों ने बयां कर दिया**
*उम्मीद की पगडंडी
यूं तो इस पगडंडी ने मेरा बहुत
साथ निभाया ,आखिर थी तो कच्ची पगडंडी ही ना, पगडंडी टूट गई साथ छूट गया
वो कब से मुझे इशारों से समझता था
मैं ही नासमझ था समझ नहीं पाता था
कहता था अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन
उम्मीद करनी है तो अपने आप से कर....
मैं तेरे साथ में हूं मगर, मुझ पर विश्वास तो कर**
**नैन से नैन कुछ इस तरह मिले
दिल के सारे हाल बयां हो गए
ना उनके लब हिले ना मेरे लब हिले
फिर भी नैनों ने दिल के सारे
राज खोल दिए
उनके नैनों में कुछ ऐसा जादू था
की हम उनके नैनों के समुंदर में
तैरते रह गए ,नैनों के समुंदर में
जस्बातों का सैलाब था
दिल का हाल सब नैनों में छिपा था
बिन बोले ही नैनों ने बयां कर दिया**
*उम्मीद की पगडंडी
यूं तो इस पगडंडी ने मेरा बहुत
साथ निभाया ,आखिर थी तो कच्ची पगडंडी ही ना, पगडंडी टूट गई साथ छूट गया
वो कब से मुझे इशारों से समझता था
मैं ही नासमझ था समझ नहीं पाता था
कहता था अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन
उम्मीद करनी है तो अपने आप से कर....
मैं तेरे साथ में हूं मगर, मुझ पर विश्वास तो कर**
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