परवाह


काम बस इतना करना है 

थोड़ा सम्भल कर चलना है 

सतर्कता को अपनाना है 

सुरक्षा अपनी और अपनों की  

करनी है, जिम्मेदारी यह 

हम सबको निभानी है 

दिखावे की छुट्टी करनी है 

परवाह‌ जो अपनों की करते हो 

सुरक्षा नियमों का पालन करो 

कुछ समय दूर से ही सगे संबंधियों 

और मित्रों से मिलों , महफिलें फिर से 

जम जायेंगी , ज़िन्दगी रहेगी तो रिश्तों 

की डोरियां फिर से तीज त्यौहारों में एक 

हो जायेंगी  रौनकें बहार लौट आयेंगी ।




आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...