बंजर पथरीली सुखी पड़ी राहों पर
पड़ गई है दरारें अब इन राहों पर
कोई बड़ा वृक्ष नहीं जिसकी बड़ी- बड़ी
विशालकाय जड़े धरती पर
नमी को अपने अंदर समा सकें
और धरती की प्यास बुझा सके उसे पोषित कर सके
पड़ गई है दरारें अब इन राहों पर
कोई बड़ा वृक्ष नहीं जिसकी बड़ी- बड़ी
विशालकाय जड़े धरती पर
नमी को अपने अंदर समा सकें
और धरती की प्यास बुझा सके उसे पोषित कर सके