**माँ मैं हूँ ना***
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"मेरे हाथ पर गरम-गरम चाय गिर गयी थी , जिसकी वज़ह से काफ़ी तकलीफ़ थी ,डॉक्टर को दिखा के दवा भी ले ली थी ।
परन्तु एक बात की चिन्ता थी अगले ही दिन हमारे घर पर गुरु जी आने वाले थे , वो अहमदाबाद से आ रहे थे ,मेर हाथ तो जल हुआ था ,हाथ मे छाले थे ,डॉक्टर ने पानी मे डालने से मना किया था और हाथ मे जख्म भी बहुत था , और हमारी कामवाली भी एक हफ्ते छुट्टी पर थी गाँव गयी हुयी थी ,और कोई भी थोड़े दिन के लिए हमारे घर काम करने को तैयार नहीं थी सब बहुत व्यस्त थी ।
मैं यूँ ही चुपचाप अपने कमरे मे बैठी थी चिता थी कल का काम कैसे होगा ।
इतने में मेरा पन्द्रह साल का बेटा आया और बोला माँ क्या हुआ क्या हाथ में बहुत दर्द है ,मैंने सिर हिलाते हुए कहा नहीं बेटा मैंने दवा ले ली है । बेटा बोला तो फिर आराम कर लो , मैने कहा आराम कैसे करूँ बेटा ,कल अहमदाबाद से गुरु जी और उनके चार शिष्य आ रहें हैं ।,उन्हें भोजन करना होगा ,और मेरे हाथ से कुछ होने वाला नहीं है ,बहुत चिन्ता हो रही है बेटा, ।
थोड़ी देर रुक कर मेरा बेटा बोला चिन्ता मत करो ,माँ मैं हूँ ना
माँ बोली तुम क्या कर लोगे बेटा तुम थोड़ी रसोई का काम कर सकते हो, और कल तुम्हारा एग्जाम भी है,तुम मेरी मदद भी नहीं कर सकते । बेटा बोला माँ मैने कहा सब हो जायेगा , मेरी पढ़ाई भी ,
मैं रात को पढ़ लूँगा, सुबह मैं आपकी मदद से सारा खाना बनाऊंगा ,
अगला दिन था बेटा एग्जाम देकर सुबह दस बजे घर लौट आया था ,।मुझ से पूछ-पूछ कर उसने सारा खाना तैयार किया ।
गुरु जी और उनके चार शिष्यों की मेरे बेटे ने अच्छे से सेवा करी ,गुरु जी ने बहुत प्रस्सन होकर विदा ली मुझे और मेरे बेटे को बहुत आशीर्वाद भी दिये ।
जब गुरु जी चले गये तब मेरे बेटे ने कहा चलो माँ अब हम दोनों भी खाना खा लेते हैं ,खाना वाकई में बड़ा स्वादिष्ट बना था ।
जब सब निपट गया तब मेरा बेटा बोला माँ अब बताओ आप खुश हो ना ,मैंने भी उसके सिर पर हाथ गिरते हुए कहा हाँ बेटा हाँ ।
बेटा बोला माँ आज मदर्स डे है , मैने आपको बोला था ना कि मैं हूँ ना ,और माँ आप
हमारे लिए इतना करती हो क्या मैं आपके लिए इतना भी नही कर सकता क्या ?
माँ यूँ तो हम भारतीयों के लिए तो हर रोज मदर्स डे है । पर आज इस मदर्स डे पर आपका बेटा वादा करता है कि ,जब भी आपको मेरी आव्यशकता महसूस होगी मैं आपके पास होऊँगा ।