***** माँ* वो वटवृक्ष है, जिसकी ठंडी छाँव में हर
कोई सुकून पाता है ।
माँ की ममता सरिता की भाँति , जीवन को पवित्रता,
शीतलता, और निर्मलता देकर निरन्तर आगे बढ़ते
रहने की प्रेरणा देती रहती है ।
मेरा तो मानना है,माँ एक कल्प वृक्ष है ,जहाँ उसके
बच्चों को सबकुछ मिलता है ,सब इच्छाएं पूरी होती
हैं ।
* कभी-कभी माँ कड़वी नीम भी बन जाती है ,
और रोगों से बचाती है *
* माँ *दया का सागर ,*अमृत कलश है*
**दुनियाँ की भीड़ में ,प्रतिस्पर्धा की दौड़ में
जब स्वयं को आगे पाता हूँ ।
ये माँ की ही दुआओं का असर है
जान जाता हूँ ,मैं।*
वास्तव में माँ एक विशाल वृक्ष ही तो है ,
जिस तरह *वृक्ष *मौसम की हर मार को सह कर
स्वयं -हरा भरा रहता है ,और *मीठे पौष्टिक फल* ही
देता है, ठीक उसी तरह एक *माँ *भी बहुत कुछ
सहन करके एक सुसंस्कृत,सभ्य ,समाज की स्थापना को अपनी *संताने* देती है******
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ऋतु जी । माँ तो माँ ....होती है ,ममतामयी ।
जवाब देंहटाएंसही कहा शोभा जी माँ तो बच्चों के लिये सब कुछ होती है ।
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