**किसी भी देश,प्रदेश समाज जाति का सबसे उच्चतम और सम्मानिय वर्ग अगर कोई है तो वो हैं हमारे किसान ,यानि अन्नदाता धरती पर मनुष्यों के भगवान ।
ऊंचे-ऊंचे पदों पर बैठे पदाधिकारी आज उन्नति और प्रग्रती की ऊंचाइयां छू रहे हैं यह तभी संभव है जब देश की सभी लोग तन-और मन से पुष्ट हों और यह तभी संभव है जब उन्हें पौष्टिक अन्न मिलेगा ।
अतः सर्वप्रथम देश का किसान सबसे उच्चतम पद पर होता है ।
**कृषक यानि अन्नदाता जिस वर्ग को समाज में सबसे ज्यादा समृद्ध होना चाहिए वही वर्ग यानि कृषक हम सब के लिए धरती पर हमारा अन्नदाता ही सबसे ज्यादा अभावों में जीवन जीता है । इससे बड़ी और क्या विडंबना होगी।
किसी भी मनुष्य को धरती पर जीवन जीने के लिए सबसे पहली और आखिरी आवयश्कता अन्न ही है ।
अन्न किसी भी रूप में, अन्न की खातिर ही मनुष्य की सबसे पहली दौड़ शुरू होती है ।
कोई भी मनुष्य दो वक़्त की रोटी के लिए मेहनत करना शुरू करता है ,कभी भी किसी ने इतनी गहराई से नहीं सोचा होगा की वो अन्न कहां से और कैसे आता है माना कि सबको ज्ञात है ।
एक कृषक तपती दोपहरी में खेतो में काम करता है
खेतों की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए कठोर परिश्रम करता है एक कृषक का जीवन मेहनत और लगन की अद्भुत मिसाल होता है एक कृषक के वस्त्र और हाथ अपने खेतों की मिट्टी का हमेशा परिचय देते रहते हैं ।
वहीं दूसरा पहलू बड़े -बड़े पदों पर कार्यरत वातानुकूलित कक्षों में बैठे पदाधिकारी इन्हीं कृषकों और इनके मिट्टी से सने वस्त्रों को देख इनसे दूरी बनाते हैं ।
विषय विचारणीय है ,उसी मिट्टी से सने हाथों और मिट्टी में उपजे अन्न से ही हम सब की पेट की भूख मिटती है और हम तृप्त होते हैं
अन्न अमृत है ,अन्न और अन्नदाताओं कृषकों का यथोचित सम्मान होना आव्यशक है।
जिस तरह घर में गृहणी अगर प्रसन्न और स्वस्थ रहती है तो घर स्वर्ग बन जाता है उसी तरह अगर देश के अन्नदाताओं कृषकों को यथोचित सम्मान मिलेगा तो कृषक स्वस्थ और सम्पन्न रहेंगे तो देश भी उन्नति करेगा और देश खुशहाल और समृद्ध होगा।