*याद आता है वो
दादा-दादी,नाना-नानी
चाचा-चाची बुआ-फूफा
का वो गुजरा जमाना *
*अस्वच्छ हाथ ना हमें लगाना
हाथ ,पांव मूंह ,धोकर ही घर के
अंदर आना तद उपरांत ही किसी चीच को
हाथ लगाना *
*समझ छुआ -छूत उनका हमनें खूब मजाक उड़ाया*
आज करोना जैसी महामारी के संकट में अपने
बड़ों का कहा याद आया *
पादुका अपनी बाहर ही उतार कर आना
नहीं किसी बाहरी संक्रमण को घर के अंदर लाना।
पंच स्नान और स्वच्छ वस्त्रों को
धारण करके ही
भजन और भोजन करना ।
झूठे हाथ ना कहीं और लगाना
बार-बार हाथ धोकर ही आना ।
उद्देश्य एक था संक्रामक रोगों से हमें बचाना।
दादा-दादी,नाना-नानी
चाचा-चाची बुआ-फूफा
का वो गुजरा जमाना *
*अस्वच्छ हाथ ना हमें लगाना
हाथ ,पांव मूंह ,धोकर ही घर के
अंदर आना तद उपरांत ही किसी चीच को
हाथ लगाना *
*समझ छुआ -छूत उनका हमनें खूब मजाक उड़ाया*
आज करोना जैसी महामारी के संकट में अपने
बड़ों का कहा याद आया *
पादुका अपनी बाहर ही उतार कर आना
नहीं किसी बाहरी संक्रमण को घर के अंदर लाना।
पंच स्नान और स्वच्छ वस्त्रों को
धारण करके ही
भजन और भोजन करना ।
झूठे हाथ ना कहीं और लगाना
बार-बार हाथ धोकर ही आना ।
उद्देश्य एक था संक्रामक रोगों से हमें बचाना।