*दिलों में प्रकाशित परस्पर प्रेम की दीपावली * शुभ दीपावली*

*इस दीपावली दिलो में भी
 सकारात्मक सोच का दीपक जलाएं
 दीपोत्सव
दीपों का उत्सव
दीपों के प्रकाश का
भव्य भ्व्यतम था नज़ारा
मानों स्वर्ग को धरती पर हो उतारा

प्रकाश ही प्रकाश
तिमिर का अंश मात्र भी नहीं
स्वछता नवीनता और प्रकाश
का अद्भुत जलवा
फिर भी मेरे मन के कोने
में कहीं कोई कश्मकश थी बाकी
मन में छुप कर बैठी थी उदासी
शिकवे -शिकायतों का संसार
तभी दीपावली पर स्वच्छता
नवीनता और प्रकाश का तात्पर्य
ज्ञात हुआ
 मैंने मन को ना किया था स्वच्छ
पुरानी चीजों यानि पुराने शिकवों को
ना था बाहर  निकाला, तत - क्षण
मन से पुरानी शिकायतों को बाहर
 निकाल कूड़े दान में दे डाला
नए शुभ सकारात्मक विचारों से
मन में किया उजाला
अब दीपावली का तात्पर्य समझ में आया
अब मन के भीतर और बाहर सब और था उजाला बस उजाला .....




आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...