सम्मान देना चाहते हो तो
सम्मान दो... सदा सदा के लिए
शाश्वत....
सिर्फ एक दिवस का सम्मान
मुझे स्वीकार्य नहीं ....
महिला दिवस बता.....
मानों महिलाओं को रिझाते हो
हाथ में झुनझुना दे दिल बहलाते हो ।
भूल गए मैं तुम्हारी जननी हूं
माता हूं ..... माना की बीज तुम्हारे हैं
फुलवारी को मैंने बढ़े जतन से पाला है
संस्कारों की खाद से पौष्टिकता और
सभ्यता के विकास को मैंने एक सभ्य
सुसंस्कृत समाज के निर्माण का काम किया है
नहीं चाहिए मुझे एक दिन का सम्मान
देना है तो मुझे मेरा अधिकार दो
बराबरी से चलने की स्वतन्त्रता दो
रक्षा कवच बन रहो ,
निज पशुता का वर्धन करो
जंगलराज का अब अंत करो
कांधे से कांधा मिला संग चलने का आह्वान करो ।