काश की वो वक्त वहीं थम जाता । हम बड़े न होते बच्चे ही रह जाते ।
पर क्या करें की प्रकर्ति का नियम है ,बचपन , जवानी बुढ़ापा , दुनियां यूं ही चलती रहती है ।
जिसने जन्म लिया है ,उसकी मृत्यु भी शास्वत सत्य है उससे मुँह नहीं मोड़ा जा सकता ये एक कड़वा सच है ।
हम बात कर रहे थे ,बचपन की , बचपन क्यों अच्छा लगता है ।
बचपन में हमें किसी से कोई वैर नहीं होता ।
बचपन का भोलापन ,सादगी ,हर रंग में रंग जाने की अदा भी क्या खूब होती है ।
मन में कोई द्वेष नहीं दो पल को लड़े रोये, फिर मस्त । कोई तेरा मेरा नहीं निष्पाप निर्द्वेष निष्कलंक मीठा प्यारा भोला बचपन ।
ना जाने हम क्यों बड़े हो गये , मन में कितने द्वेष पल गये
बच्चे थे तो सच्चे थे , माना की अक्ल से कच्चे थे ,फिर भी
बहुत ही अच्छे थे , भोलेपन से जीते थे फरेब न किसी से करते थे
तितलियों संग बातें करते थे , चाँद सितारोँ में ऊँची उड़ाने भरते थे
प्रेम की मीठी भाषा से सबको मोहित करते थे ।
बच्चे थे तो अच्छे थे ।
पर क्या करें की प्रकर्ति का नियम है ,बचपन , जवानी बुढ़ापा , दुनियां यूं ही चलती रहती है ।
जिसने जन्म लिया है ,उसकी मृत्यु भी शास्वत सत्य है उससे मुँह नहीं मोड़ा जा सकता ये एक कड़वा सच है ।
हम बात कर रहे थे ,बचपन की , बचपन क्यों अच्छा लगता है ।
बचपन में हमें किसी से कोई वैर नहीं होता ।
बचपन का भोलापन ,सादगी ,हर रंग में रंग जाने की अदा भी क्या खूब होती है ।
मन में कोई द्वेष नहीं दो पल को लड़े रोये, फिर मस्त । कोई तेरा मेरा नहीं निष्पाप निर्द्वेष निष्कलंक मीठा प्यारा भोला बचपन ।
ना जाने हम क्यों बड़े हो गये , मन में कितने द्वेष पल गये
बच्चे थे तो सच्चे थे , माना की अक्ल से कच्चे थे ,फिर भी
बहुत ही अच्छे थे , भोलेपन से जीते थे फरेब न किसी से करते थे
तितलियों संग बातें करते थे , चाँद सितारोँ में ऊँची उड़ाने भरते थे
प्रेम की मीठी भाषा से सबको मोहित करते थे ।
बच्चे थे तो अच्छे थे ।