लेखक और उसके भाव

  **   ख़ूबसूरत देखने की आदत**

  

    स्वर्ग से सुंदर समाज की कल्पना 


     यही एक लेखक की इबादत होती है


     हर तरफ़ ख़बसूरत देखने की एक

     सच्चे लेखक की आदत होती है 

     अन्याय,  हिंसा, भेदभाव,

     देख दुनिया का व्यभिचार ,अत्याचार

     एक लेखक की आत्मा जब रोती है

     तब एक लेखक की लेखनी

     तलवार बनकर चलती है

     और समाज में पनप रही वैमनस्य की

     भावना का अंत करने में अपना

     महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है

     विचारों की पवित्र गंगा की धारा

    सर्वजन हिताय हेतु

    सुसंस्कृत,सुशिक्षित समाज की स्थापना

    का आदर्श  लिये

   शब्दों के तीखे तीर

    जब तीर चलाती

    तब वो इतिहास रचती है,

    युगों-युगों तक

   आने वाले समाज का 

   मार्गदर्शन करती है ।

   लिखने को तो लेखक की लेखनी लिखती है

   एक अद्वितीय शक्ति उसको प्रेरित करती है

   तभी तो ऐतिहासिक, रहस्यमयी

   सच्ची घटनाओं की तस्वीरें 

   कविताओं, कहानियों आदि के रूप में

  युगों-युगों तक

  जनमानस के लिए प्रेरणास्रोत बन
  
  जनमानस  के हृदयपटल पर राज करती हैं ।

स्व रचित :-ऋतु असूजा
शहर:-  ऋषिकेश उत्तराखंड   

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...