मेरे आने की आहट भी वो पहचानता है
वो मेरी फिक्र करता है
वो अक्सर दिन रात मेरा ही जिक्र करता है
मुझे बेझिझक डांटता है
मुझ पर ही हुक्म चलाता है
मेरी कमियां गिन गिन कर मुझे बताता है
कभी कभी वो मुझे मेरा हम मीत मेरा दुश्मन सा लगता है मगर वो मुझे अपने आप से भी अजीज है
वो मेरा मित्र मेरे जीवन का इत्र जिसका मैं अक्सर और वो मेरा अक्सर करता है जिक्र
मेरा मित्र मेरे जीवन का है इत्र ।
उसे मेरी और मुझे उसकी हरपल रहती है फिक्र ।