💐💐खोजते रहे जिन्दगी भर ,मोहब्बतों के ठिकानों को ,
ना ठिकाना मिला ना मोहब्बत मिली
मिली तो बस तड़पते दिल की बेकरारी मिली
मोहब्बत की चाहत तो मृगतृष्णा हुई ।
फिर क्या था हमने स्वयं को ही मोहब्बत का
फ़रिश्ता बना लिया ,मोहब्बत की अखण्ड जोत
जला डाली ,अब मोहब्बते चिराग है जिससे रोशन
हमारे जीवन का आफ़ताब है ।*💐💐
ना ठिकाना मिला ना मोहब्बत मिली
मिली तो बस तड़पते दिल की बेकरारी मिली
मोहब्बत की चाहत तो मृगतृष्णा हुई ।
फिर क्या था हमने स्वयं को ही मोहब्बत का
फ़रिश्ता बना लिया ,मोहब्बत की अखण्ड जोत
जला डाली ,अब मोहब्बते चिराग है जिससे रोशन
हमारे जीवन का आफ़ताब है ।*💐💐
*💐सफ़र की शुरआत ही ,बड़ी हसीन थी
फूलों के आशियाने में ,शूलों की भरमार थी ।
कहने को हम फूलों के संग थे ,पर हमारी
मुलाकात तो हमेशा शूलों के संग हुयी ।
काँच की दीवारें थी, सच छुपाना मुश्किल था
पर ना जाने कहाँ से हम में ये हुनर आ गया
हमें दर्द छुपाकर मुस्कराना आ गया ।
जिन्दगी ने हमारे बहुत इनतिहान लिये
हमें चलना भी नहीं आता था ,और हमें पथरीली
राहों पर छोड़ दिया गया चलने के लिये,
बस यूं ही गिरते सम्भलते हम चलना सीख गये
जिन्दगी के सफ़र की शुरुआत इतनी आसान होती
तो हम इस तरह दर्द लिये सरेआम ना होते।
जिस तरह सोना तप कर कुंदन बनता है ।
हम बिखर -बिखर कर निखर गये ।
जिस तरह सोना तप कर कुंदन बनता है ।
हम बिखर -बिखर कर निखर गये ।