*आखिर क्यो हुआ ?*वायु प्रदूषण*

 
 बड़ा ही चिन्तनीय विषय है ,
 वायु प्रदूषण ,आखिर क्यों हुआ ये वायु प्रदूषण
 इसका जिम्मेदार भी मनुष्य स्वयं ही है।
 सृष्टिनिर्माता द्वारा धरती पर प्राकृतिक रूप से मनुष्यों के 
 उत्तम स्वास्थ्य हेतु सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गयी  ।
 प्रकृति की अनमोल सम्पदायें ,वृक्ष, नदियाँ ,और सबसे महत्वपूर्ण साँस लेने के लिये शुद्ध स्वच्छ वायु ,जो प्रकृतिक रूप से सम्पूर्ण वायुमण्डल में है ।
यानि कि सृष्टिकर्ता द्वारा मनुष्यों के रहने के लिये सम्पूर्ण सुख-सुविधाओं से पूर्ण सृष्टि का निर्माण किया गया ,और कहा गया जाओ मनुष्यों धरती पर राज करो ।
परन्तु मनुष्यों को तो देखो आधुनिकता की दौड़ में ,या यूँ कहिये आगे बढ़ना प्रकृति का नियम है । किसी भी देश की प्रग्रति और उन्नति नित-नये अविष्कार करने में है ,सुख-सुविधाओं के साधनों में बढ़ोत्तरी कोई बुरी बात भी नहीं है ,परन्तु ऐसी भी प्रग्रति किस काम की ... या सुख-सुविधओं के साधनों में इतनी भी बढ़ोत्तरी किस काम की जो स्वयं को बीमार कर दे ......
जरा सोचिए...... सृष्टिनिर्माता द्वारा प्राप्त वायुमण्डल जिससे हम मनुष्यों को प्राणवायु मिलती है .... उसी प्राणवायु को हमने जहरीला बना दिया .....दोषी कौन है ? दोषी हम सब मनुष्य स्वयम ही हैं ।
वाहनों की अधिकता ,फैक्टरियों सर निकलता धुआं 
सर्वप्रथम तो वाहनों की अधिकता पर रोक लगनी चाहिये 
एक घर मे एक से अधिक वाहन वर्जित होना चाहिये 
बच्चों को प्रारम्भ से ही साईकिल चलाने की प्रेरणा देनी होगी इससे एक तो वायु प्रदूषण नहीं होगा और शरीर भी स्वस्थ रहेगा ।
शीघ्र अति शीघ्र अपने वायु मंडल को स्वस्थ बनाइये 
पेट्रोल,डीजल वाहनों का उपयोग अत्यधिक आवयशक हो तभी कीजिये।
वरना ये धरती मनुष्यो के रहने लायक नही रहेगी।
जिम में जाकर साइकिल चलाना स्टेटस सिंबल बनाने से अच्छा ,खुली हवा में साइकिल चलाइये ,ओर सबको प्रेरणा दीजिये ।




आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...