मेरा भारत महान

सरल स्वभाव मीठी वाणी ,
आध्यमिकता के गूंजते शंख नाद यहाँ
अनेकता में एकता का प्रतीक मेरा भारत देश महान ,
विभिन्न रंगों के मोती हैं  ,फिर भी माला अपनी एक हैं
मेरे देश का अद्भुत वर्णन ,मेरी भारत माँ का मस्तक हिमालय के ताज से सुशोभित
सरिताओं में बहता अमृत यहाँ,
जड़ी -बूटियों संजिवनियों का आलय
प्रकृति के अद्भुत श्रृंगार से सुशोभित
मेरा भारत देश महान ,अपने देश की महिमा का क्या करूं व्याख्यान
जी चाहे मैं हर जन्म में बन देश का रक्षा प्रहरी शीश पर शीश झुकाऊँ
देश की खातिर प्राणों की बलि चढाऊँ, भारत माँ की शान में जो दुश्मनों की आँख भी उठ जाए
तो उन्हें"   छटी का दूध" याद दिलाऊँ दुश्मन " दाँतों तले ऊँगली दबाएँ" " उल्टे पाँव घर लौट जाएँ "
भारत माँ की आन में, भारत की शान बन जाऊँ
मैं अपनी मातृ भूमि भारत माँ का माँ जैसा ऊँचा सम्मान करूँ ।।
मैं भारत माँ का माँ से भी ज्यादा करूं सम्मान

" फौजी "

एक माँ की पीड़ा , जिसका बेटा फौजी बनता है ,यह एक माँ की ही नहीं उन सभी माँओंओं की  बहनों की पत्नियों की की दिल की आवाज है ,जिनका बेटा, भाई ,या पति देश की रक्षा के लिए ,फ़ौज में भर्ती होता है ।
एक फौजी के परिवार के अंतः करण की मर्मस्पर्शी पीड़ा ,कुछ बाते जो अपने बेटे को फ़ौज की वर्दी में देख माँ के हृदय में निकलती हैं ,   माँ का मस्तक गर्व से ऊँचा हो जाता है , चेहरे की चमक बढ़ जाती है , हृदय से अनगिनत आशीषें देती माँ अपने बेटे को स्वदेश की रक्षा के लिए उसके कर्तव्य पथ पर अडिग रहने की प्रेरणा देती है ।
वहीँ दूसरी और माँ के हृदय में एक पीड़ा एक डर जो उसे हमेशा सताये रहता है ,जुग-जुग जय मेरा लाल न जाने कितनी दुआयें देती माँ हर पल हर क्षण परमात्मा से प्रार्थना करती है अपने लाल अपने जिगर के टुकड़े की सलामती की दुआयें माँगती रहती है एक फौजी की माँ कोई साधारण माँ नहीं होती वह महानात्मा होती है ।
आज जहाँ आतँकवाद ने सम्पूर्ण विश्व में आतंक फैला रखा है ,विनाश ही जिनका धर्म है ।बस अब और नहीं ,बंद होना चाहिए ये आतँकवाद का घिणौना खेल ।
अब विश्व के समर्थवान देशों को एकजुट होकर आतंकवाद को जड़ से खत्म कर देना चाहिए
आखिर कब तक निर्दोष निरापराधी यूँ ही बलि का बकरा बनते रहेंगे ।
जब एक फौजी अपने देश की रक्षा करते हुए वीर गति को प्राप्त होता है ,तब उसके परिवार वालों पर क्या बीतती है .....
माँ की तो आँखों का तारा ही लुप्त हो जाता है उसकी सारी दुनियाँ ही अँधियारी हो जाती है।
पत्नि की हृदय गति ही रुक जाती है ,
मानो सारी दुनिया ही थम जाती है ,आँखें पथरा जाती हैं
सब कुछ अस्त व्यस्त हुआ ,ना जिन्दा में ना मुर्दा में
जीने का मक्सद ही छिन गया  उनका तो सर्वस्व ही छिन गया
बस और नहीं बस और नहीं आतँक खेल अब खत्म करो
निर्दोष मासूमों पर कुछ तो रहम करो ।।

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...