“हौसलों का दामन पकड़ “
“ तिमिर घोर तिमिर
वो झिर्रीयों से झांकती
प्रकाश की किरण
व्यथित , व्याकुल ,
पराजित मन को ढाढ़स बँधाती
हौंसला रख ए बंदे
उम्मीदों का बना तू बाँध
निराशा में मत अटक
भ्रम में ना भटक
वो देख उजाले की झलक
कर्मों में जगा कसक
नाउम्मीदी को ना जकड़
उजियारा दे रहा है तेरे द्वार
पर दस्तक
तेरा हौसला ही तेरे आगे बढ़ने का सबब
हौसलों ने उम्मीद के संग मिलकर
रचे हैं कई आश्रयजनक अचरज
तेरे हौसलों ने दिखाने हैं अभी कई बड़े- बड़े करतब ।
“ तिमिर घोर तिमिर
वो झिर्रीयों से झांकती
प्रकाश की किरण
व्यथित , व्याकुल ,
पराजित मन को ढाढ़स बँधाती
हौंसला रख ए बंदे
उम्मीदों का बना तू बाँध
निराशा में मत अटक
भ्रम में ना भटक
वो देख उजाले की झलक
कर्मों में जगा कसक
नाउम्मीदी को ना जकड़
उजियारा दे रहा है तेरे द्वार
पर दस्तक
तेरा हौसला ही तेरे आगे बढ़ने का सबब
हौसलों ने उम्मीद के संग मिलकर
रचे हैं कई आश्रयजनक अचरज
तेरे हौसलों ने दिखाने हैं अभी कई बड़े- बड़े करतब ।