देवों की भूमि "उत्तराखण्ड"
"भारत"के सिर का ताज
गंगोत्री ,यमनोत्री,बद्रीनाथ,केदारनाथ
आदि तीर्थस्थलों का यहीं पर वास
पतित ,पावनी निर्मल ,अमिय माँ
गँगा का उद्गम गंगोत्री .. से
हरी की पौड़ी ,हरिद्वार के घाटों में बहती
अविरल गँगा जल की धारा
जन-जन पवित्र करता है अपना
तन-मन ।
भारत को सदा-सर्वदा रहा है
जिस भूमि पर नाज़, वहीं उत्तराखण्ड
पर बन रक्षा प्रहरी खड़ा है विशालकाय
पर्वत हिमालय .....
हिमालय पर है, हिम खण्डों का आलय
हिमालय पर्वत पर बहुत बड़ा संग्रहालय
दुर्लभ जड़ी बूटियों के यहाँ पर पर्वत
पवित्र नदियों का होता है, यहीं से उद्गम।
कल-कल बहते जल की सुरीली सरगम
प्रवित्रता की अविरल धाराओं से शीतल तन-मन
देवों की भूमि ,उत्तराखण्ड
ऋषियों की धरती ऋषिकेश से करती हूँ
मैं सबका सुस्वागतम।
प्रवित्रता की अविरल धाराओं से शीतल तन-मन
देवों की भूमि ,उत्तराखण्ड
ऋषियों की धरती ऋषिकेश से करती हूँ
मैं सबका सुस्वागतम।