महात्मा गाँधी प्यारे बापू ,
अंहिंसा के पुजारी को शत-शत नमन।
भारत की आन में ,मात्रभूमि की शान मे,
नतमस्तक ,नतमस्तक ,नतमस्तक।
भारतवासियों के हृदय में माँ तुल्य पूजनीय है भारत ,
वात्सल्य के समुद्र का सैलाब है भारत।
भारत सद्विचारों से हरा- भरावृक्ष है,
सरलता- सादगी है श्रृंगार इसके , सरलता पवित्रता का सूचक है ,
सरल है , कमजोर नहीं , शस्त्र नहीं शास्त्रों को देता है प्राथमिकता।
कपट से दूर ऊच्च संस्कारों के आदर्श हैं इसका मूल ,
मात्रभूमि के सपूतों में है वो आग
दुश्मन को मुह तोड़ देने को जवाब।
सिंह की दहाड़ ,कंकड़ नहीं पहाड़ है ,चिंगारी नहीं वो आग है।
तीर नहीं तलवार है ,शाखा नहीं वृक्ष है ,बूंद नहीं समुद्र है।
तूफान है,सैलाब है ,शस्त्रों का है पूरा ज्ञान ,दुश्मनों के छक्के छुड़ाने को रहते हैं सीना तान ,
चिंगारी नहीं आग है।
अद्भुत है मेरा भारत ,अतुलनीय पर्वत सा विशाल हृदय है ,सूर्य सा तेज ,
पर नहीं किसी से द्वेष , विश्व में भारत की है अपनी अलग पहचान ,
भाई -चारे संग ,धरती पर स्वर्ग बनाने का संदेश , अदभुत , अतुलनीय है मेरा देश।
मेरा भारत है महान ,
हमी से है इसकी शान ,
समस्त भारत वासी बने इसकी आन ,
इसी से है हमारी पहचान और इसी में है हमारी जान ।
"जय हिन्द"