**दफन**

** कल मुझे कुछ संस्कार मिले 

     कफ़न में लिपटे हुए

      पड़े थे  मृत के समान  मूर्छित अवस्था में,मानों कोमा में 

      सांसे ले रहे थे ,

      पर मरे नहीं थे,तैयार थे ,

      शव शैय्या पर

      स्वाहा होने के लिए

      क्योंकि मृत के सामान पड़े थे 

      ले जाया जा रहा था उन्हें अंतिम संस्कार

      के लिए .......

      तभी कुछ हलचल हुई,

      एक आस जो बची थी

      जीवंत हो उठी ,संस्कारों ने 

       लम्बी सांस ली...... इंसानियत 

        भी मुस्करा उठी ,खिलखिलाने लगी....

         शुभ मंगल संस्कारों की सांसे चलते देख....

       

 

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...