*लक्ष्य *

विचारों में पवित्रता
वाणी में नम्रता
स्वभाव में सौम्यता
कर्मों में श्रेष्ठता और सत्यता
हो तो सफलता निश्चित होती है
ना किसी से ईर्ष्या ,ना द्वेष
ना किसी से प्रतिस्पर्धा
मंजिल की ओर बढते क़दम
राह में चाहे बधायें हो अनेक
नदिया के बहाव की तरह
अपनी राहें बनता चल
तू थकना ना मुसाफ़िर
निगाहों में रख तेरी मंजिल का
रास्ता देख .....
निराशा,हताशा तेरी राह के रोड़े बन
तुझे करेंगे निरुत्साहित इन रोड़ों
से मत घबराना ,मंजिल की ओर बढते जाना
प्रतिस्पर्धा कर स्वयं से
हर दिन एक नया क़दम अग्रसरता की ओर
आत्म केंद्रित हो अपना केंद्रबिंदु रख लक्ष्य की ओर.....

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...