'' जिस दिल में मॊहब्बत होती है ''
गुनगुनाता है ,मुस्कराहटें लुटाता है।
मोहब्ब्तों में सब सुंदर हो जाता है ,
मोहब्ब्तों में इंसान खुदा हो जाताहै।
मोहब्बतों जिन दिलों में होती हैं
उन चेहरों कि रौनके ही ख़ास होती है ,
दुनियाँ को देखने कि उनकी निगाहें भी ख़ास होती हैं
आत्मिक सौन्दर्य से परिपूर्ण ,
वह दिल नहीं मन्दिर होता है।
प्रेम का समुन्दर लिए
इतराता इठलाता अधरों पर गीत बन गुनगुनाता है।
प्रेम ,
बस यूँ ही मुस्कराता है ,
मीठी कशिश ,अनकहे शब्दों में सब कह जाता ,
प्रेम ,
तपती दोपहरी में वृक्ष कि छाया 'संगीत में सुरों कि तरह
हवा में सुगंध कि तरह विलीन हो जाता है प्रेम ,
स्व्यं के लिए तो सभी जीते है ,
जो दूसरों के जीने के लिए जी जाता है ,
वही है, सच्चा प्रेम।