चंद वर्षों का आवागमन है ज़िन्दगी
गिनती तो नहीं, सांसों की टिक-टिक
पर टिकी है ज़िन्दगी जीने के लिए
कर्मों के बीज बोते हैं सहयोगी
साथी बनते चले जाते हैं और एक
बाद एक कारवां जुड़ता चला जाता है
हंसती- मुस्कुराती बिंदास सी जिन्दगी को
समेटे सुख -दुख के पल बांट लेते हैं साथी
मुश्किलों में एक दूजे के संग चलते हैं साथी
एकजुटता से दुविधाओं का सैलाब
भी पार कर लेते हैं साथी भागती -दौडती जिन्दगी में
खुशियों की कूंजी लिए फिरते हैं साथी
कारवें का कोई साथी जब बिछड़ जाता है
वक्त ठहर जाता है सहम जाता है
उदासी का कोहरा दर्द का पहरा
रिक्त हो जाता है एक हिस्सा कारवे का
रिक्तता धीमे-धीमे वक्त का मरहम भरता जाता है
और कारवां चलता चलता जाता है
वक्त का पहिया अपना काम करते जाता है ।
अनहोनी के कारण
ठहर जाता है ,सहम जाता है
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