🌧🎡“सावन के झूले पड़े थे
मन्त्रमुग्ध सब झूल रहे थे
वसुन्धरा से अम्बर की ओर पींगे भर रहे थे “
तभी .......
“अम्बर ने “वसुन्धरा”को जब निहारा 🌎
🌧मेघों से घिर गया अम्बर सारा “
मेघों ने सुन्दर - सुन्दर आकृतियाँ बनायीं ☁️⛈
जो सबके मन को लुभायीं “
बिजली भी चमकी .....
फिर छम के बरसा छम -छम के बरसा
🌧⛈अम्बर से मेघों का बन ,वर्षा का जल सारा
वसुन्धरा भी प्यासी तृप्त हुईं
हरी-भरी धरती प्रफुल्लित हुई ,
कोयल ने भी सुमधुर संगीत सुनाया
मयूर ने भी नृत्य से मन लुभाया ।
वृक्षों की डालियों ने बाँहें फैलायी 🌴
प्रकृति ने आवाज लगायीं
सावन की रिमझिम वर्षा है आयीं ☔️
चलो सखियों झूलन की ऋतु है आयी
सुख -समृद्धि और सम्पन्नता का संदेशा लायी ।🎄🌴🍃🍀
धरा ने अम्बर कीओर निहारा
और कहा तुमने तो भिगो दिया
मेरा आँचल सारा,सुखी पड़ी धरती
को तुमने तृप्त किया ।
तुमसे ही मेरा जीवन समृद्ध हुआ
सम्भव नहीं है , तुम बिन जीवन हमारा
जबकि तु एक किनारा मैं एक किनारा
हमसे ही तो सृष्टि का अस्तित्व सारा ।☔️☔️🌧