प्राकृतिक संपदाओं की वसीयत
मनुष्य जीवन को दिव्य भेंट
सृष्टि की संरचना
प्राणियों की उत्पति
धरती पर जीवन
परमात्मा द्वारा सुव्यवस्था
सुंदरतम उपहार
जीविका के साधनों की भरमार
रहस्यमयी प्रकृति अनमोल
प्राकृतिक संपदाओं केअद्वितीय स्रोत
सूर्य का दिव्य तेज जीवन जीने का वेग
परमात्मा की अद्भुत भेंट मनुष्य मन समाहित
प्रकृति जिससे धरती पर जीवन
यह कहना अतश्योक्ती होगी कि
प्राणियों से प्रकृति है ,प्रकृति प्राणियों की
परमात्मा प्रदत अनमोल सम्पदा है
सम्पदा का संरक्षण सदुपयोग जीवन को
दीर्घ आयु स्वस्थ एवम् समृद्ध रखता है
वहीं दुरुपयोग स्वयं के ही पैरो पर कुल्हाड़ी के सामान है
हे मनुष्य सम्भल प्रकृति धरती की सम्पदा है
वसीयत है जो परमात्मा से धरती पर प्राणियों को मिली है
वसीयत की कर संभाल तुम्हारे बुरे समय की ढाल
प्रकृति का के संरक्षण जीवन का