देने के सिवा मुझे कुछ आता नहीं !!!!!
एक दिन मैंने पुष्प से पुछा
आकाश की छत मिटटी की गोद ,
क्या कारण है जो काटों के बीच भी,
बगीचो की शोभा बढ़ाते हो ,
दुनिया को रंग-बिरंगा खूब सूरत बनाते हो
मुस्कुराहटें फैलाते हो।
उदास चेहरों पर हँसी ले आते हो
इत्र बनकर हवा में समा जाते हो
अपने इस छोटे से जीवन में जीने का अर्थ बता जाते हो
ख़ुशी का सबब बन जाते हो।
पुष्प ने कहा मेरा स्वाभाव ही ऐसा है ,
मुस्कुराने के सिवा मुझे कुछ आता नहीं,
देने के सिवा मुझे कुछ भाता नहीं ,
माना की जीवन संघर्ष है मेरा,
छोटा सा जीवन है मेरा
मुझे आपार हर्ष है, कि ,
नहीं जाता जीवन व्यर्थ है मेरा
ख़ुशी हो या गम , हर जगह उपयोग होता है,
मेरा ।।।