पी के फिल्म की कहानी मेरी जुबानी!!!!
पी,के, फिल्म सादगी से फिल्माई गयी , मनोरंजन से भर -पूर् फिल्म है। पी ,के फिल्म की कहानी को बहुत ही सुन्दर ढंग से दर्शाया गया है। आमिर खान एक अच्छे अदाकार हैं ,उनकी अदाकारी का जादू इस फिल्म में भी भरपूर दिखाई देता है। इस फिल्म का प्रत्येक दृश्य मन को प्रफुल्लित करने में सक्षम है। मनोरंजन, व्यंग तथा एक विशिष्ट विषय पर संदेश देती, यह फिल्म ,की भगवान कहाँ है/ इस फिल्म का नायक भगवान को भगवान का घर कहे जाने वाले विभिन्न धर्मस्थलों मंदिर ,मस्जिद ,चर्च इत्यादि स्थलों पर खोजता है ,पर उसे भगवान नहीं मिलते। नायक क्योंकि दुसरे ग्रह से आया हुआ प्राणी है उसे अपने घर जाना है , वह धर्म के ठेकेदार कहे जाने वाले साधू -संतों के पास भी जाता है जहाँ उसे सब झूठ दिखाई देता है ,उसकी आत्मा उसे ग्वाही नहीं देती और वह रॉंग नंबर कहकर उनका विरोध करता है। विभिन्न धार्मिक पाखंडों पर पी ,के, फिल्म प्रहार करती नज़र आती है। माना की भगवान का घर कहे जाने वाले मंदिर, मस्जिद ,चर्च आदि गलत नहीं हैं। परन्तु धर्म की आड़ में कई पाखण्ड होते हैंजिन्हे आम जन समझ के भी नहीं समझना चाहते आँखों में पट्टी बांधे रहते हैं।
माना की फिल्म की कहानी बहुत नई नहीं है , इससे पहले o.m.g. फिल्म भी कुछ इसी विषेय पर आधारित थी.
पी. के की कहानी नई पीढ़ी के लिए नए विचारों के साथ सादगी से अपनी बात कहते हुए धार्मिक पाखण्डों पर गहरा प्रहार है। फिल्म का प्रत्येक दृश्य मनोरंजन से भरपूर है ,कोई भी दृश्य व्यर्थ नहीं प्रतीत होता। वही यह फिल्म प्रेरणा देती है , की अगर भगवान को ढूंढ़ना है तो ,अपनी आत्मा की आवाज़ सुनो ,भगवान का घर कहे जाने वाले मंदिर मस्जिद चर्च आदि भी आवयशक हैं सच्चा मन और निर्मल हृदय भी आवयशक है। और क्या लिखूँ पी. के फिल्म प्रेरणास्पद भी है। बाकी यह देखने वाले की मानसिकता भी है की वह किस दृश्य को किस मानसिकता से देखता है।