नज़र लूं उतार

पलक नहीं झपकती जी चाहता है 
निरंतर होता रहे सुन्दर प्रकृति का दीदार 
आरती का थाल लाओ नजर लूं उतार 
प्रकृति क्या खूब किया है तुमने
वसुन्धरा का श्रृंगार ....
 अतुलनीय, अद्वितीय 
तुम तो अद्भुत चित्रकार सुन्दर रंग-बिरंगे 
पुष्पों का संसार ,  सौन्दर्यकरण संग वातावरण को
 सुगन्धित करने का भी सम्पूर्ण प्रयास 
मदमस्त आकर्षक तितलियों 
का इठलाना झट से उड़ जाना क्या खूब 
प्रकृति का श्रृंगार वृक्षों की कतार 
प्राण वायु देते वृक्षों का उपकार
सत्य तो यह हुआ की प्रकृति में  निहित  
प्राणियों के प्राणों की आस यह सत्य है 
मत कर प्राणी प्रकृति से खिलवाड़ 
स्वयं का ही जीवन ना बिगाड़ 
प्रकृति का करो संरक्षण , वृक्षों की लगा कतार 
प्रकृति की सेवा कर तुम 
 स्वयं पर ही करोगे उपकार 
 
 
रंग -बिरंगे पुष्पों की कतार 
सौन्दर्यकरण संग वातावरण को
 सुगन्धित करने काभी सम्पूर्ण प्रयास 

कारवां

चंद वर्षों का आवागमन है ज़िन्दगी  

गिनती तो नहीं, सांसों की टिक-टिक 

पर टिकी है ज़िन्दगी जीने के लिए 

कर्मों के बीज बोते हैं सहयोगी 

साथी बनते चले जाते हैं और एक 

बाद एक कारवां जुड़ता चला जाता है

हंसती- मुस्कुराती बिंदास सी जिन्दगी को 

समेटे सुख -दुख के पल बांट लेते हैं साथी

मुश्किलों में एक दूजे के संग चलते हैं साथी 

एकजुटता से दुविधाओं का सैलाब 

भी पार कर लेते हैं साथी भागती -दौडती जिन्दगी में 

खुशियों की कूंजी लिए फिरते हैं साथी 

कारवें का कोई साथी जब बिछड़ जाता है 

वक्त ठहर जाता है सहम जाता है 

उदासी का कोहरा दर्द का पहरा 

रिक्त हो जाता है एक हिस्सा कारवे का‌ 

रिक्तता धीमे-धीमे वक्त का मरहम भरता जाता है 

और कारवां चलता चलता जाता है 

वक्त का पहिया अपना काम करते जाता है ।







 अनहोनी के कारण 

ठहर जाता है ,सहम जाता है 







आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...