** अच्छा हुआ मेरी परवरिश
तूफानों के बीच हुयी ।
जब मेरी परवरिश हो रही थी
बहुत तेज आँधियाँ चल रही थीं ,
तूफानों ने कई घर उजाड़ दिये थे ।
क्या कहूँ तूफ़ान ने मेरा घर भी उजाड़ा
मेरा सब कुछ ले लिया ,
मुझे अकेला कर दिया ,
ना जाने तूफ़ान की मुझसे क्या दुश्मनी थी
मुझे अपने संग नहीं ले गया ,
मुझे दुनियाँ की जंग लड़ने को अकेला छोड़ गया ।
बताओ ये भी कोई बात हुई ,मैं अकेला दुनियाँ की भीड़
मे बहुत अकेला ,कोई अपना न मिला
पर मेरी परवरिश तो आँधियों ने की थी
मैं कहाँ टूटने वाला था । जहाँ रास्ता मिला चलता रहा
धीमे थे कदम मेरे पर कभी रुके नहीं
पर मेरा हौंसला मेरे साथ था ,हमेशा से मेरा सच्चा साथी
मेरे हौंसलों ने कभी हार नहीं मानी ,
शूलों पर चलकर फूलों की राह थी पानी
आज बहुत खूबसूरत है ,मेरी जिन्दगानी
क्योंकि मेरे हौंसलों ने कभी हार नहीं मानी ।।*****