☔️⛈“सावन के झूले “⛈☘️🌿

   🌧🎡“सावन के झूले पड़े थे 
    मन्त्रमुग्ध सब झूल रहे थे 
   वसुन्धरा से अम्बर की ओर पींगे भर रहे थे “
   तभी .......
“अम्बर ने “वसुन्धरा”को जब निहारा 🌎
🌧मेघों से घिर गया अम्बर सारा “
मेघों ने सुन्दर - सुन्दर आकृतियाँ बनायीं ☁️⛈
जो सबके मन को लुभायीं “
बिजली भी चमकी .....
फिर छम के बरसा छम -छम के बरसा 
🌧⛈अम्बर से मेघों का बन ,वर्षा का जल सारा 
वसुन्धरा  भी प्यासी तृप्त हुईं 
हरी-भरी धरती प्रफुल्लित हुई ,
कोयल ने भी सुमधुर संगीत सुनाया 
मयूर ने भी नृत्य से मन लुभाया ।

वृक्षों की डालियों ने बाँहें फैलायी 🌴
प्रकृति ने आवाज लगायीं 
सावन की रिमझिम वर्षा है आयीं ☔️
चलो सखियों झूलन की ऋतु है आयी 
सुख -समृद्धि और सम्पन्नता का संदेशा लायी ।🎄🌴🍃🍀
धरा ने अम्बर कीओर निहारा 
और कहा तुमने तो भिगो दिया 
मेरा आँचल सारा,सुखी पड़ी धरती
को तुमने तृप्त किया ।
तुमसे ही मेरा जीवन समृद्ध हुआ 
सम्भव नहीं है , तुम बिन जीवन हमारा 
जबकि तु एक किनारा मैं एक किनारा 
हमसे ही तो सृष्टि का अस्तित्व सारा ।☔️☔️🌧







14 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम दोनों किनारों को भी मिला देता है ...
    सावन में सम्भव है सब कुछ .।।

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    1. सादर आभार दिगम्बर नवासा जी ये तो मन के भाव हैं जिस और मोड़ दो ..........

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  2. सावन का बहुत ही रोचक प्रस्तुतिकरण, रितु।

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  3. प्रिय यशोदा दीदी सर्वप्रथम हरियाली तीज की बधाई
    और मेरे द्वारा सृजित रचना को पाँच लिंकों के आनन्द में सम्मिलित करने हेतु आभार

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  4. बहुत सुंदर सावन की अद्भुत छटा।

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    1. जी कुसुम जी सावन का मौसम बढ़ा हाई मनभावन होता है

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  5. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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