“ शोर -शोर बहुत शोर था
मैं सुकून की तलाश में कहीं दूर निकल
आया था “
मैं खवाहिशों से भरमाया था
बस अब और नहीं..........
“अब अकेला बहुत अकेला था
दुनियाँ का ख़ूब झमेला था
दुनिया तो बस मेला था
मेले में हर श्क्स अकेला था “
“मैं रोया बहुत ही रोया था
उसका आँचल पकड़ मैं
जी भर सोया था ,
वो मेरी माँ का आँचल था ,
जिसमें सुकून मैंने पाया था
दुनिया का हर ग़म भुलाया था “
माँ के आँचल तले हर इंसान को सुकून मिलता है ... एक वही है जो हर बला को दूर रखता है ... सुंदर रचना है ...
जवाब देंहटाएंआभार
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ....लाजवाब 🙏🙏🙏
आभार 🙏🙏
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