देवों की भूमि "उत्तराखण्ड"
"भारत"के सिर का ताज
गंगोत्री ,यमनोत्री,बद्रीनाथ,केदारनाथ
आदि तीर्थस्थलों का यहीं पर वास
पतित ,पावनी निर्मल ,अमिय माँ
गँगा का उद्गम गंगोत्री .. से
हरी की पौड़ी ,हरिद्वार के घाटों में बहती
अविरल गँगा जल की धारा
जन-जन पवित्र करता है अपना
तन-मन ।
भारत को सदा-सर्वदा रहा है
जिस भूमि पर नाज़, वहीं उत्तराखण्ड
पर बन रक्षा प्रहरी खड़ा है विशालकाय
पर्वत हिमालय .....
हिमालय पर है, हिम खण्डों का आलय
हिमालय पर्वत पर बहुत बड़ा संग्रहालय
दुर्लभ जड़ी बूटियों के यहाँ पर पर्वत
पवित्र नदियों का होता है, यहीं से उद्गम।
कल-कल बहते जल की सुरीली सरगम
प्रवित्रता की अविरल धाराओं से शीतल तन-मन
देवों की भूमि ,उत्तराखण्ड
ऋषियों की धरती ऋषिकेश से करती हूँ
मैं सबका सुस्वागतम।
प्रवित्रता की अविरल धाराओं से शीतल तन-मन
देवों की भूमि ,उत्तराखण्ड
ऋषियों की धरती ऋषिकेश से करती हूँ
मैं सबका सुस्वागतम।
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना । प्रकृति ने भरपूर लुटाया है
जवाब देंहटाएंजी आभार
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार ०९ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ध्रुव जी मेरी लिखी रचना को पांच लिंकों के आनन्द मैं शामिल करने के लिए
हटाएंबहुत सुंदर रचना ऋतु जी।
जवाब देंहटाएंAabhar Shweta ji
हटाएंलाज़वाब...बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद
हटाएंबहुत सुंदर। वाह
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद
हटाएंबहुत सुंदर रचना ऋतु जी, अब तो ऋषिकेश आना ही होगा. सुंदर विवरण दिया आपने कविता के माध्यम से. सादर
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है ,ऋषिकेश में
हटाएंआभार सहित धन्यवाद
जवाब देंहटाएंदेवभूमि उत्तराखंड का बहुत ही सुन्दर मनोरम काव्यचित्रण.....
जवाब देंहटाएंवाह!!!
Aabhar sahit dhnywad Sudhaji
हटाएंबहुत सुंदर रचना एवं चित्रण
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