💐💐खोजते रहे जिन्दगी भर ,मोहब्बतों के ठिकानों को ,
ना ठिकाना मिला ना मोहब्बत मिली
मिली तो बस तड़पते दिल की बेकरारी मिली
मोहब्बत की चाहत तो मृगतृष्णा हुई ।
फिर क्या था हमने स्वयं को ही मोहब्बत का
फ़रिश्ता बना लिया ,मोहब्बत की अखण्ड जोत
जला डाली ,अब मोहब्बते चिराग है जिससे रोशन
हमारे जीवन का आफ़ताब है ।*💐💐
ना ठिकाना मिला ना मोहब्बत मिली
मिली तो बस तड़पते दिल की बेकरारी मिली
मोहब्बत की चाहत तो मृगतृष्णा हुई ।
फिर क्या था हमने स्वयं को ही मोहब्बत का
फ़रिश्ता बना लिया ,मोहब्बत की अखण्ड जोत
जला डाली ,अब मोहब्बते चिराग है जिससे रोशन
हमारे जीवन का आफ़ताब है ।*💐💐
*💐सफ़र की शुरआत ही ,बड़ी हसीन थी
फूलों के आशियाने में ,शूलों की भरमार थी ।
कहने को हम फूलों के संग थे ,पर हमारी
मुलाकात तो हमेशा शूलों के संग हुयी ।
काँच की दीवारें थी, सच छुपाना मुश्किल था
पर ना जाने कहाँ से हम में ये हुनर आ गया
हमें दर्द छुपाकर मुस्कराना आ गया ।
जिन्दगी ने हमारे बहुत इनतिहान लिये
हमें चलना भी नहीं आता था ,और हमें पथरीली
राहों पर छोड़ दिया गया चलने के लिये,
बस यूं ही गिरते सम्भलते हम चलना सीख गये
जिन्दगी के सफ़र की शुरुआत इतनी आसान होती
तो हम इस तरह दर्द लिये सरेआम ना होते।
जिस तरह सोना तप कर कुंदन बनता है ।
हम बिखर -बिखर कर निखर गये ।
जिस तरह सोना तप कर कुंदन बनता है ।
हम बिखर -बिखर कर निखर गये ।
Thanks jyoti ji
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/05/20.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंराकेश जी धन्यवाद मेरी लिखी रचना को मित्र मंडली में शामिल करने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकाँच की दीवारें थी, सच छुपाना मुश्किल था
जवाब देंहटाएंपर ना जाने कहाँ से हम में ये हुनर आ गया .....
बहुत सुन्दर...
वाह!!!
लाजवाब प्रस्तुति...।
दर्द छुपाकर हमे मुस्कुराना आ गया!!........
जवाब देंहटाएंतभी तो लबों पे ये गम-ए-तराना आ गया।। बहुत उम्दा!!!
Sudha ji dhanywad aabhar
जवाब देंहटाएंThanks vishwa mohan ji
जवाब देंहटाएंबिखर के निखरना ही जीवन है ...
जवाब देंहटाएंप्रेम में अक्सर बिखर के जो चराग बन जाते हैं सबका जीवन रौशन करते हैं ... दर्द छुपा के मुस्कुराना हर किसी को नहीं आता ...
बहुत ही खूबसूरत नज्में हैं दोनों ...
आभार दिगम्बर नवासा जी शुक्रिया
जवाब देंहटाएंकाँच की दीवारें थी, सच छुपाना मुश्किल था
जवाब देंहटाएंपर ना जाने कहाँ से हम में ये हुनर आ गया
हमें दर्द छुपाकर मुस्कराना आ गया । बहुत ख़ूब! सुंदर सजीव वर्णन।
आभार। "एकलव्य"