रास्ते भी क्या खूब हैं निकल पड़ो
चल पड़ो मंजिलों की तलाश में
किसी सफर पर रास्ते बनते जाते हैं
रास्ते चलना सिखाते हैं,गिरना-समभलना
फिर उठ कर चलना मंजिलों के साक्षी
खट्टे-मीठे तजुर्बों के साथी रास्ते
किनारे पर लगे वृक्षों की ठंडी छांव में
थकान पर आराम की झपकी का सुखद एहसास
मंजिल पर पहुंच जाने के बाद रास्ते बहुत
याद आते हैं, रास्ते हसाते है , गुदगुदाते हैं
वास्तव में रास्ते ही तो जीवन के सच्चे साथी
होते हैं ,जीवन के सफर में रास्तों पर चलना होगा
रास्तों को सुगमय तो बनाना ही होगा
रास्ते ही जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं
सुख -दुख का किस्सा हैं ।
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