****आओ जीवन के किरदार में सुन्दर रंग भरे*** 💐 ************************************
** तन के पिंजरे में**
** शिवशक्ति परमात्मा की
** दिव्य जोत ***
आत्मा से ही जीवन का अस्तित्व
आत्मा बिन शरीर बन जाता है शव।।
फिर क्यों न आत्मा को ही शक्तिशाली बनायें
आत्मा को पमात्मा में स्थिर करके जीवन को
सफ़ल बनाएं ।
** तन के पिंजरे में**
** शिवशक्ति परमात्मा की
** दिव्य जोत ***
आत्मा से ही जीवन का अस्तित्व
आत्मा बिन शरीर बन जाता है शव।।
फिर क्यों न आत्मा को ही शक्तिशाली बनायें
आत्मा को पमात्मा में स्थिर करके जीवन को
सफ़ल बनाएं ।
**जीवन का सत्य ,
एक अनसुलझी पहेली
जीवन सत्य है
पर सत्य भी नहीं
पर जीवन क्या है
एक अनसुलझी पहेली ।।
**जीवन एक सराय
हम मुसाफ़िर माना कि सत्य है
सफ़र....बहुत लम्बा सफ़र ।।
सफ़र का आनन्द लो
खूबसूरत यादों को जीवन के
कैमरे में कैद कर लो अच्छी बात है ,
बस यही साथ जाना है ।
अच्छी यादें, माना कर्मों की खेती
जैसा बीज ,वैसी खेती ।
जीवन के रंगमंच पर भवनाओं का सैलाब
कर्मो का मायाजाल, ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, स्वार्थ
जैसी भावनायें ,भवनाओं में उलझ जाना स्वभाविक
माना कि, सत्य,असत्य,के विवेक का भी बोध है।
कहता है शोध, जीवन है.....
आत्मा की शुद्धि का संयोग
आत्मा की शुद्धि स्वयं में हठयोग
कीचड़ में कमल की तरह खिलते रहना
कीचड़ में रहकर स्वयं को कीचड़
से बचाना ।
आधुनिकता का आकर्षण ,आकर्षण में रहना
परन्तु स्वयं को आकर्षण से बचाना,
बड़ी ही बेदर्द है, समाज की परम्पराएं.....
प्रकृति से मैंने देने का गुण सीखा,
देने वाला सदा, प्रसन्न और तृप्त रहता है ।
जहाँ कहीं भी निस्वार्थ सेवा होती है
मैंने उनके खजाने स्वयमेव भरते देखे है।
वृक्षों की भाँति अपनी शरण मे आये को
फल,फूल, शीतल वायु ,देते रहो...
दरिया की भाँति निरन्तर आगे बढ़ना
जीवन के सफ़र में संग तो कुछ जाना नहीं
तो क्यों ना कुछ ऐसा कर चलें कि
हमारे जाने के बाद भी हमारे कर्मों की
खुशबू हवाओं में रहे ,कुछ ऎसे चिन्ह छोड़ते चलते
हैं ,की दुनियां हमारे चिन्हों का अनुसरण करें ।
जीवन एक सराय ,हम मुसाफ़िर
जीवन को भरपूर जियो पर अच्छे और बुरे विवेक के संग ।।।
आओ अपने किरदार में सुन्दर रंग भरे ।
स्वयं की लिये तो सभी जीते हैं ,
हम किसी और के जीने की वजह बन जाएं
किसी के काम आ जाएं ,स्वयं के जीवन को
दूसरों के लिए प्रेरणापुंज बनाएं ।
जीवन सत्य है
पर सत्य भी नहीं
पर जीवन क्या है
एक अनसुलझी पहेली ।।
**जीवन एक सराय
हम मुसाफ़िर माना कि सत्य है
सफ़र....बहुत लम्बा सफ़र ।।
सफ़र का आनन्द लो
खूबसूरत यादों को जीवन के
कैमरे में कैद कर लो अच्छी बात है ,
बस यही साथ जाना है ।
अच्छी यादें, माना कर्मों की खेती
जैसा बीज ,वैसी खेती ।
जीवन के रंगमंच पर भवनाओं का सैलाब
कर्मो का मायाजाल, ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, स्वार्थ
जैसी भावनायें ,भवनाओं में उलझ जाना स्वभाविक
माना कि, सत्य,असत्य,के विवेक का भी बोध है।
कहता है शोध, जीवन है.....
आत्मा की शुद्धि का संयोग
आत्मा की शुद्धि स्वयं में हठयोग
कीचड़ में कमल की तरह खिलते रहना
कीचड़ में रहकर स्वयं को कीचड़
से बचाना ।
आधुनिकता का आकर्षण ,आकर्षण में रहना
परन्तु स्वयं को आकर्षण से बचाना,
बड़ी ही बेदर्द है, समाज की परम्पराएं.....
प्रकृति से मैंने देने का गुण सीखा,
देने वाला सदा, प्रसन्न और तृप्त रहता है ।
जहाँ कहीं भी निस्वार्थ सेवा होती है
मैंने उनके खजाने स्वयमेव भरते देखे है।
वृक्षों की भाँति अपनी शरण मे आये को
फल,फूल, शीतल वायु ,देते रहो...
दरिया की भाँति निरन्तर आगे बढ़ना
जीवन के सफ़र में संग तो कुछ जाना नहीं
तो क्यों ना कुछ ऐसा कर चलें कि
हमारे जाने के बाद भी हमारे कर्मों की
खुशबू हवाओं में रहे ,कुछ ऎसे चिन्ह छोड़ते चलते
हैं ,की दुनियां हमारे चिन्हों का अनुसरण करें ।
जीवन एक सराय ,हम मुसाफ़िर
जीवन को भरपूर जियो पर अच्छे और बुरे विवेक के संग ।।।
आओ अपने किरदार में सुन्दर रंग भरे ।
स्वयं की लिये तो सभी जीते हैं ,
हम किसी और के जीने की वजह बन जाएं
किसी के काम आ जाएं ,स्वयं के जीवन को
दूसरों के लिए प्रेरणापुंज बनाएं ।
जीवन जीने का आनंद तभी आता है जब हम किसी के काम आए। सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंजी ज्योति जी लेख पढ़ने और प्रोत्साहित करने के लिये धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और प्रेरक रचना रितु जी।
जवाब देंहटाएंश्वेता जी आपका धनयवाद उत्साह बढ़ाने के लिये।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 31 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ,ध्रुव जी मेरी लिखी रचना को पांच लिंकों के आनन्द में स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ,ध्रुव जी मेरी लिखी रचना को पांच लिंकों के आनन्द में स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सीख देती लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर..
आदरणीय सुधा जी आपका आभार रचना पढ़ने और मुझे प्रोत्साहित करने के लिये धनयवाद
हटाएंबहुत सुंदर |
जवाब देंहटाएंआभार अर्चना जी
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