💐💐 कौन किस के हक की बात करता है
अपने कर्मों की खेती स्वयं ही करनी पड़ती है
स्वयं ही स्वयं को प्रोत्साहित करना पड़ता है
काफिले में सर्वप्रथम तुम्हें अकेले ही चलना पड़ेगा
जीत तो उसी की होती है ,जो स्वयं ही स्वयं का
नेतृत्व करता है।💐💐
** मैंने उस वक्त चलना शुरू किया था
जब सब दरवाजे बंद थे ,
पर मैं हार मानने वालों में से कहाँ था
कई आये चले गए ,सब दरवाजे बंद है
कहकर मुझे भी लौट जाने की सलाह दी गयी ।पर ,
मैं था जिद्दी ,सोचा यहां से वापिस नहीं लौटूंगा
टकटकी लगाये दिन-रात दरवाजा खुलने के इन्तजार
मैं पलके झपकाए बिना बैठा रहता ,
बहुतों से सुना था,यह दरवाजा सालों से नही खुला है ,
पर मेरी जिद्द भी बहुत जिद्दी थी ।
एक दिन जोरों की तूफ़ान आने लगा ,आँधियाँ चलने लगी
मेरी उम्मीद ए जिद्द थोड़ी-थोड़ी कमजोर पड़ने लगी
पर टूटी नहीं ,नजर तो दरवाजे पर थी
तीर कमान में तैयार था , अचानक तेज हवा का झौंका आया मेरे चक्षुओं में कोई कंकड़ चला गया ,
इधर आँख में कंकड़ था , उधर आँधी से जरा सा
दरवाजा खुला ।
😢
आँख कंकड़ से जख्मी थी ,पर मैंने निशाना साधा मेरा तीर
दरवाज़ा खुलते ही लग गया ,जीत मेरी जिद्द की थी या मेरे विश्वास की जीत हुई मेरे संयम की ।
इरादे अगर मजबूत हों और स्वयं पर विश्वास हो और आपके
कर्म नेक हों तो दुनियाँ की कोई ताकत आपको जीतने से रोक नहीं सकती ।
कोई भी रास्ता आसान नही होता ,
उसे आसान बनाना पड़ता है ,अपने
नेक इरादों सच्ची मेहनत लगन , निष्ठा और संयम से ।
अपने कर्मों की खेती स्वयं ही करनी पड़ती है
स्वयं ही स्वयं को प्रोत्साहित करना पड़ता है
काफिले में सर्वप्रथम तुम्हें अकेले ही चलना पड़ेगा
जीत तो उसी की होती है ,जो स्वयं ही स्वयं का
नेतृत्व करता है।💐💐
** मैंने उस वक्त चलना शुरू किया था
जब सब दरवाजे बंद थे ,
पर मैं हार मानने वालों में से कहाँ था
कई आये चले गए ,सब दरवाजे बंद है
कहकर मुझे भी लौट जाने की सलाह दी गयी ।पर ,
मैं था जिद्दी ,सोचा यहां से वापिस नहीं लौटूंगा
टकटकी लगाये दिन-रात दरवाजा खुलने के इन्तजार
मैं पलके झपकाए बिना बैठा रहता ,
बहुतों से सुना था,यह दरवाजा सालों से नही खुला है ,
पर मेरी जिद्द भी बहुत जिद्दी थी ।
एक दिन जोरों की तूफ़ान आने लगा ,आँधियाँ चलने लगी
मेरी उम्मीद ए जिद्द थोड़ी-थोड़ी कमजोर पड़ने लगी
पर टूटी नहीं ,नजर तो दरवाजे पर थी
तीर कमान में तैयार था , अचानक तेज हवा का झौंका आया मेरे चक्षुओं में कोई कंकड़ चला गया ,
इधर आँख में कंकड़ था , उधर आँधी से जरा सा
दरवाजा खुला ।
😢
आँख कंकड़ से जख्मी थी ,पर मैंने निशाना साधा मेरा तीर
दरवाज़ा खुलते ही लग गया ,जीत मेरी जिद्द की थी या मेरे विश्वास की जीत हुई मेरे संयम की ।
इरादे अगर मजबूत हों और स्वयं पर विश्वास हो और आपके
कर्म नेक हों तो दुनियाँ की कोई ताकत आपको जीतने से रोक नहीं सकती ।
कोई भी रास्ता आसान नही होता ,
उसे आसान बनाना पड़ता है ,अपने
नेक इरादों सच्ची मेहनत लगन , निष्ठा और संयम से ।
वाह्ह्ह रितु जी, प्रेरणादायक पंक्तियाँ👌👌
जवाब देंहटाएंजी श्वेता जी आपकी टिप्पणी उत्साह को बढ़ाने में बहुत सहायक होती हैं और बहुत मायने रखती हैं ।
हटाएंजीवन का मार्ग सुगम बनाते मार्गदर्शक शब्द। वाह ऋतु जी लिखते रहिये। आरम्भ में दूसरा शब्द "कसके " कृपया जाँच लें।
जवाब देंहटाएंजी रविन्दर यादव जी आप सब की टिप्पणीयाँ मार्गदर्शन हेतु बहुत उपयोगी हैं ,आभार
हटाएंसत्य कहा आदरणीय ,यदि स्वयं में विश्वास हो तो मनुष्य क्या नहीं कर सकता ,उसे अकेले ही चलना पड़ता है कारवां तो बन ही जाते हैं ,उम्दा सोच ! प्रेरणा दे रही हैं आभार। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ध्रुव एकलव्या जी आप का प्रोत्साहन आगे बढ़ने मैं बहुत सहायक है ,आभार ।
हटाएंइरादे अगर मजबूत हों और स्वयं पर विश्वास हो और आपके
जवाब देंहटाएंकर्म नेक हों तो दुनियाँ की कोई ताकत आपको जीतने से रोक नही सकती ।
सही कहा पुरषोत्तम जी स्वयं में विश्वास के साथ मेहनत और लगन भी अति आवयशक है । आभार
हटाएंरितु बहुत ही प्रेरणादायक रचना। यदि इंसान को स्वयं का नेतृत्व करना आ जाए तो दुनिया मे उसका नेतृत्व करने वाला कोई नही रहेगा।
जवाब देंहटाएंज्योति आपकी टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन के लिये बहुत उपयोगी है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरणादायी रचना....
जवाब देंहटाएंसही कहा स्वयं का नेतृत्व स्वयं करना होगा....
लाजवाब...
आभार सुधा जी आपका प्रोत्साहन मार्गदर्शन के लिए बहुत उपयोगी है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव से सजी रचना है...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आकांक्षा जी
जवाब देंहटाएंस्वयं में विश्वास ही कुंजी है सफल जीवन की ... निराशा के बादल भी स्वयं के पुरुषार्थ से ही छटते हैं ... बहुत ही आशा वादी और प्रेरक शब्दों से बुनी रचना ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिगाम्बर नवासा जी आभार सहित धन्यवाद
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