**आभार ब्लॉग जगत **
**मकसद था कुछ करूं,
मेरी दहलीज जहां तक थी वहीं तक जाना था
,करना था कुछ ऐसा जो उपयोगी हो कल्याण कारी हो ,
जिसकी छाप मेरे दुनियाँ से चले जाने के बाद भी रहे ,
बाल्यकाल में महान लेखकों की लेखनी ने प्रभवित किया
देश की आज़ादी के किस्से वीर शहीदों के किस्से आत्मा को झकजोर देते।
दायरा जहां तक सीमित था
लिखकर अपनी बात कहनी शुरू की , यूँ तो किसी का लिखना कौन पड़ता है ,पर फिर भी लिखना शुरू किया ।
धन्यवाद ब्लॉग जगत का ।
आज लिखने को खुली ज़मीन है ।
आसमान की ऊँचाइयाँ है , क्या सौभाग्य है
परमात्मा ने स्वयं हम लेखकों की सुनी शायद ।
आज ब्लाग जगत के माध्यम से लेखक भी सम्मानित होने लगे ।
ब्लोगिंग ने बहुत कुछ दिया है नए लेखकों को ... अपनी प्रतिभा अपना सपना पूरा करने को ...
जवाब देंहटाएंसत्य है ,दिगम्बर जी नही तो लेखन कार्य को तो फालतू लोगों का काम समझा जाता था , सच्चे दिल से धन्यवाद ब्लॉगिंग का ।
जवाब देंहटाएंनहीं रितु जी, लेखन कार्य कोई फालतू काम नहीं है बल्कि ऐसा काम है जिसे करना तो हर कोई चाहता है But कर बहुत ही कम लोग पाते हैं। क्योंकि इतनी अच्छी कविताएँ, कहानियाँ... लिखना हर किसी के बस की बात नहीं होती।
हटाएंकुछ लोग होते हैं जो कि जब यह नहीं कर पाते तो वह यह कहकर ही अपने मन को दिलासा दे लेतें हैं कि लेखन कार्य तो फालतू लोगों का काम है।
लेकिन सच्चाई क्या है ये तो हम सब जानते ही हैं इसीलिए हमें इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि दूसरा हमारे कार्य से संतुष्ट है या नहीं बल्कि जो फ़र्क़ पड़ता है वो इस बात से पड़ता है कि क्या हम अपने कार्य से संतुष्ट हैं?