त्यौहार:-
त्यौहार यानि,हर्षोल्लास, उमंग,उत्साह,
दीपावली का त्यौहार,दिल में नया उत्साह,नयी उमंग
सबसे बड़ा काम घर की साफ़-सफाई ।
माँ पास आकर बोली,कल शनिवार है,परसों रविवार, कल और परसों तेरी,आफ़िस की छुट्टी है, ये नहीं की देर तक सोती रहे,कल जल्दी उठ जाना चार दिन बाद दीवाली है,अभी तक ढंग से साफ़-सफाई भी नहीं हुई ,कल सुबह काम वाली बाई के
साथ मिलकर अच्छे से सफाई करवा लेना ।
बेटी मीता बोली हाँ माँ ,मैं भी यही सोच रही थी, फिर सजावट भी तो करनी होगी ,
माँ पता है,बाज़ार में बहुत सूंदर-सूंदर सजावट का सामान आ रखा है।
इतने में दो पड़ोसी बच्चे आ गये ,कहने लगे बुआ जी आपने कहा था ,जब अगले साल हम आठ साल के हो जायेंगे ,तब आप हमें पटाखे दिलायेंगी ।
मीता बोली पटाखे ?
बच्चे बोले बुआ आपने बोला था अगले साल तुम और बड़े हो जाओगे तब तुम्हें बहुत सारे पटाखे दिलाऊंगी ।
मीता बुआ कहती है, पटाखे तो मैं तुम्हें दिल दूँगी ,लेकिन बताओ,पटाखे जला कर तुम्हें फायदा क्या मिलेगा?
बच्चे बोले बुआ जी, बता है ,बजार में कितने अच्छे-अच्छे पटाखे आ रखे हैं।
दीदी बोली मुझे सब पता है, पर ये बताओ पटाखे जलाकर तुम्हे फायदा क्या मिलेगा ?
बच्चे बोले ,बुआ पटाखे जलाकर बहुत अच्छा लगेगा ,मेरा एक दोस्त है,ना उसके पापा तो उसके लिये बहुत सारे पैसों के पटाखे ले भी आये हैं।
बुआ मीता बोली अच्छा ,फिर तो उन्होंने पटाखे लाकर अपने पैसे तो बर्बाद करे ही ,साथ मे वातावरण को दूषित करने का सामान भी ले लिया ।
तुम जानते हो बच्चों पटाखों में अनगिनत जहरीली रसायन होते हैं , और जब हम उन्हें जलाते हैं तो उनमें से जहरीले रसायनों का धुआँ हमारे आस-पास के वातावरण को दूषित करता है,और जब हम साँस लेते हैं तब हमारी साँसों के साथ हमारे शरीर में जाकर हमे भी बीमार करता है, इन पटाखों से बहुत ही जहरीले रसायन निकलते हैं बच्चों ।
बच्चे :-बुआ जी आप हमें पटाखे नहीं दिलाना चाहती तो साफ-साफ मना कर दो।
बुआ को लगा बच्चे अब तो नाराज़ ही हो रहे हैं,
बुआ बोली सुनो बच्चों मैं तुम्हें पटाखे दिलाऊंगी ,जिसमें थोड़ी सी फुलझड़ियां,होंगी चरखी होगी ।
इस बार की दीवाली को हम बहुत शानदार और अलग ढंग से मनायेंगे ,बहुत मजा आयेगा ,आज मुझे घर की साफ-सफाई करने दो । दीपावाली का त्यौहार हम एक साथ मनायेंगे।
दिपावली का दिन था, घर आँगन स्वच्छ ,थे घरों में यथासम्भव सजावट कर ली गयी थी ,
मिट्टी की सौंधी महक वाले दियों से आँगन में प्रवेश करते ही सौंधी-सौंधी खुशबू आ रही थी ।
आस-पड़ोसी और सगे-संबधियों का दीपावली की बधाई का सिलसिला चल रहा था ।
इतने में बच्चे भी आ गये ,हैप्पी दीपावली कहकर बुआ जी को घर की सजावट देखने लगे ।
बुआ जी आपको अपना वादा याद है ना, हमें पटाखे दिलाने है । बुआ बोली हाँ-हाँ सब याद है ,चलो आ जाओ पहले कुछ नाश्ता कर लो । नाश्ता भी हो गया था ,बुआ जी अपने काम मे लगी हुयी थी ,इधर बच्चे परेशान की बुआ जी कब हमें पटाखे दिलायेंगी ।
बच्चे इतने बैचैन थे की बुआ को किसी से बात भी ढंग से नहीं करने दे रहे थे । आखिर बुआ जी बोली बच्चों आज दीपावली हम कुछ अलग ढंग से मनायेंगे ,चलो पहले बाजार चलते हैं, कुछ सामान खरीदते हैं ।
बच्चे और बुआ जी निकल पढ़े दीपावली की खरीदारी करने ।
सबसे पहले तो बुआ जी सड़क के किनारे बैठे मिट्टी के दिए लगाये बच्चे के पास रुकी सोचा कुछ दिये ले लूँ ,बुआ ने पैसे दिये दिये भी ले लिये ,फिर न जाने बुआ को क्या सूझी उस बच्चे से पूछ बैठी, बेटा तुम दीवाली कैसे मनाओगे ,पटाखे नहीं जलाओगे ,तुम्हारा मन नहीं करता पटाखे जलाने का बच्चा बोला ,नहीं मैडम जी हमारे पास कहाँ इतना समय की हम सोचे की हम पटाखे कब जलायेगें ,हम तो बस खुश हैं ,दो वक्त की रोटी के जुगाड़ मे ।
पिताजी हमारे हैं नहीं ,हमें पता नहीं कहाँ रहते हैं , माँ हैं, दो छोटी बहने हैं ,बहने घर पर हैं,माँ भी किसी के घर पर काम करती है । रात को थके हारे घर जायेंगे कुछ खायेंगे और सो जायेंगे।
थोड़ी आगे चलकर एक पटाखों की दुकान आयी ,बुआ जी ने थोड़े पटाखे लिये ,जिसमे ,फुलझड़ियाँ और ,फिरकी साधारण पटाखे थे ,फिर मिठाई वाले की दुकान से मिठाई और बहुत सारा जरूरत का सामान खरीदा ।
बच्चे एक बार को बोले बुआ जी आपने पटाखे तो भुत कम लिये ,बुआ बोली पटाखे तो सब धुंआ हो जायेंगे ,तुम्हारी ख़ुशी के लिये थोड़े पटाखे ले लिये हैं ।
बच्चों और बुआजी ने जो-जो खरीददारी करी थी ,वह सारा सामान उन्होंने गाड़ी में रखा ,और उत्सुकतावश गाड़ी में बैठ गये ,बच्चे खुश थे कि ,घर जाकर मिठाई खायेंगे पटाखे जलायेंगे। गाड़ी चल रही थी इतने में एक बच्चा बोला बुआजी यह रास्ता हमारे घर को तो नहीं जा रहा ,हम कहाँ जा रहे हैं ,बुआजी बोली देखते जाओ हम कहाँ जाते हैं ।
थोड़ी आगे जाकर बुआ जी ने गाड़ी रुकवायी ,फिर बच्चों को भी नीचे उतरने को कहा ,बच्चे गाड़ी से बाहर आ गये ,
दीदी ने सारा सामान बाहर निकाला ,बच्चे बोले बुआजी यहां कौन रहता है ,आपका जानकार ,बुआ बोली तो क्या हुआ जो हम किसी को नहीं जानते ,हम जान पहचान कर लेंगें ।
इतने में नीची सी छत जिस पर बहुत सा पुराना समान पीडीए था ,कच्चे से कमरे के दरवाजे पर टंगे आधे-अधूरे पर्दे से एक बच्चा झाँकता हुआ दिखायी दिया,उस बच्चे की आँखे बड़ी उत्सुकता से हमें देख रही थी, इतने में अन्दर से दो बच्चे और दरवाजे पर खड़े हो गये ,ऐसा लग रहा था जैसे वो पूछना चाह रहे हों ,आप लोग यहाँ क्यों आये हैं ।
देखते-देखते कुछ बच्चे और कुछ बच्चों की मायें नन्हें मुन्नों को गोद में उठाये बाहर आ गयी ,उनमें से एक बोली क्या चाहते हैं आप लोग यहाँ क्यों आये हैं ,मैंने उन्हें बताया की हम उनके साथ दीवाली की खुशियां बांटना चाहते है ,महिला बोली अरे भेजी कहाँ आप कहाँ हम ।
हमारी दीवाली तो मिट्टी के दियों,खील पतासों ,और ये जो बच्चे फुलझड़ियां जला रहे है ना ,वहीं तक सीमित है ,आप जाइये हमारे बच्चों को ऐसे सपने मत दिखाईये बेकार में इन्हें गलत आदत लग जायेगी।
बाच्चों ने और बुआ जी ने मिठाइयां और पटाखे बच्चों में बाँटने शुरू किये बच्चे बहुत खुश थे ,सारे बच्चे एक दूसरे के साथ खेलने लगे पटाखे जलाने लगे ,बुआ जी ने बच्चों की माँ ओं को कुछ पैसे दिये अच्छे कपड़े बच्चों को दिलाने के लिये ।
सब बहुत खुश थे ,सभी बच्चे ऐसे मस्त हो गये थे काफी देर हो गयी थी ,बुआ जी ने बच्चों को आवाज लगायी ,सभी बहुत खुश थे जाते-जाते सबने एक दूसरे को happy Deepawali भी कहा सब खुश थे।
बुआ जी बच्चे गाड़ी में बैठकर घर जा रहे थे, बुआ जी ने बच्चों से पूछा बच्चों चिंता मत करो घर जाकर और पटाखे जलायेंगे मस्ती केरेंगे । बच्चे बोले बुआ जी आज तो मजा आ गया आज की दीपावली हम कभी नहीं भूलेंगे । अभी तक तो हम सोचते थे की मिठाई खाओ,पटाखे जलाओ हो गयी दीपावली ,आज पता चला कि असली दीपावली तो सबके साथ खुशियों की मिठाइयां बाँटने में और सबको खुश करने में होती है ।