**💐चाँद का दीदार**


💐* करने को चाँद का दीदार 
 मैंने आकाश की और निगाहें
जो डालीं,  निगाहें वहीं थम गयीं💐*

*आकाश में तो झिलमिलाते तारों** की 
बारात थी ,सितारों* का सुंदर संसार 
असँख्य सितारे** झिलमिला रहे थे।
मानों कोई जशन हो रहा हो *****
झिलमिलाते सितारों के बीच 
चाँदनी बिखेरते चाँद की चमकीली 
किरणें सलौनी और सुहानी।

दिव्य, अलौकिक किसी दूजे जहाँ
की परिकल्पना लिये ,मैं कुछ पल को
वहीं खो गया।
आकाश था,मैं था,सितारों* की बारात थी** 
चाँद की चाँदनी थी ,मानों आकाश के 
माथे पर सरल, निर्मल,सादगी, के श्रृंगार 
की बिंदिया ...
चाँद सी लगा के बिंदिया आकाश
अपने सादगी भरे श्रृंगार से सबको 
आकर्षित कर रहा था ।
सबको अपनी चाँदनी से आकर्षित
करते चाँद कुछ तो खास है तुझमें
जो तेरे दीदार से लोगों के दिलों के फैसले लिये
जाते हैं ।

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर ,मोहक रचना रितु जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. यथार्थ और कल्पना का सुंदर मिश्रण करके रितु जी ने लिखी है एक उत्कृष्ट रचना। बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  3. रविन्द्र जी रचना पढ़ने और और एक बेहतरीन टिप्पणी द्वारा सरहाना करने के लिये आभार ।धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. चाँद का दीदार...
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर....

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीया ऋतु जी आपकी रचना काबिलेतारीफ़ है ,सुन्दर कृति।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ध्रुव सिंह जी रचना पड़ने और सुंदर टिप्पणी देने के लिये धन्यवाद ।

      हटाएं
    2. ध्रुव सिंह जी रचना पढ़ने और सुन्दर टिप्पणी के लिये धन्यवाद ।

      हटाएं
  6. चाँद कुछ तो खास है तुझमें
    तो तेरे दीदार से लोगों के दिलों के
    फैसले लिये जाते हैं ।

    Wahh बहुत ख़ूबसूरत।

    जवाब देंहटाएं

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...