💐* करने को चाँद का दीदार
मैंने आकाश की और निगाहें
जो डालीं, निगाहें वहीं थम गयीं💐*
*आकाश में तो झिलमिलाते तारों** की
बारात थी ,सितारों* का सुंदर संसार
असँख्य सितारे** झिलमिला रहे थे।
मानों कोई जशन हो रहा हो *****
झिलमिलाते सितारों के बीच
चाँदनी बिखेरते चाँद की चमकीली
किरणें सलौनी और सुहानी।
दिव्य, अलौकिक किसी दूजे जहाँ
की परिकल्पना लिये ,मैं कुछ पल को
वहीं खो गया।
आकाश था,मैं था,सितारों* की बारात थी**
चाँद की चाँदनी थी ,मानों आकाश के
माथे पर सरल, निर्मल,सादगी, के श्रृंगार
की बिंदिया ...
चाँद सी लगा के बिंदिया आकाश
अपने सादगी भरे श्रृंगार से सबको
आकर्षित कर रहा था ।
सबको अपनी चाँदनी से आकर्षित
करते चाँद कुछ तो खास है तुझमें
जो तेरे दीदार से लोगों के दिलों के फैसले लिये
जाते हैं ।
सबको अपनी चाँदनी से आकर्षित
करते चाँद कुछ तो खास है तुझमें
जो तेरे दीदार से लोगों के दिलों के फैसले लिये
जाते हैं ।
बहुत सुंदर ,मोहक रचना रितु जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंआभार विश्व मोहन जी
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद लोकेश जी
हटाएंयथार्थ और कल्पना का सुंदर मिश्रण करके रितु जी ने लिखी है एक उत्कृष्ट रचना। बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंरविन्द्र जी रचना पढ़ने और और एक बेहतरीन टिप्पणी द्वारा सरहाना करने के लिये आभार ।धन्यवाद
जवाब देंहटाएंचाँद का दीदार...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत ही सुन्दर....
आभार सहित धन्यवाद सुधा जी
जवाब देंहटाएंआदरणीया ऋतु जी आपकी रचना काबिलेतारीफ़ है ,सुन्दर कृति।
जवाब देंहटाएंध्रुव सिंह जी रचना पड़ने और सुंदर टिप्पणी देने के लिये धन्यवाद ।
हटाएंध्रुव सिंह जी रचना पढ़ने और सुन्दर टिप्पणी के लिये धन्यवाद ।
हटाएंचाँद कुछ तो खास है तुझमें
जवाब देंहटाएंतो तेरे दीदार से लोगों के दिलों के
फैसले लिये जाते हैं ।
Wahh बहुत ख़ूबसूरत।
धन्यवाद अमित जैन जी आबहर
हटाएंआभार
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