**निशब्द**

निशब्द

एक व्यापारी था ,जिसका बेटा M.B.A करके आया था । पिता का व्यापार था ,पिता की इच्छा पहले से ही थी कि मेरा बेटा मेरा व्यापार संभाले ।
बेटे ने भी पिता की इच्छा के अनुरूप व्यपार में अपना योगदान दिया नयी तकनीक नये आयाम पिता जी थोड़े नाराज़ थे कि इतने पुराने तौर -तरीकों को मेरा बेटा बदल रहा है, कहते रहे अभी तक हम भी तो कम ही रहे थे और अच्छा ही कम रहे थे ।

लेकिन पिताजी जानते थे कि उनका बेटा बाहर से पढ़कर आया है कुछ तो बदलाव करेगा ही ,बस मन ही मन भगवान से प्रार्थना करते थे कि मेरा बेटा कामयाब हो ।

आखिर बदलाव के साथ बेटे ने पिताजी की गद्दी सम्भाली पिताजी की दुआओं और बेटे की कड़ी मेहनत से एक साल में अच्छा मुनाफा हुआ । बेटे ने पिताजी के चरण स्पर्श करते हुए कहा पिताजी मुझे एक पार्टी करनी है ,एक साल में व्यापार में अच्छा मुनाफा हुआ है ,पिताजी बोले जरूर बेटा पर पार्टी करके अपनी मेहनत का पैसा अपने यार दोस्तों में यूँ ही उड़ा दोगे ,अरे बुला लो अपने खास मित्रों को घर पर अच्छे से पार्टी कर लेंगे ,पर बेटा अगर तुम्हें खुशी ही मनानी है ,तो,किसी अनाथ आश्रम चल कर या वृद्धाश्रम जाकर गरीब जरूरतमंदों पर अपना पैसा खर्च करो ,बदले में अनगिनत दुआयें मिलेंगी ,और जानते हो उन दुआओं के बदले जो खुशी तुम्हे मिलेगी ना वो अनगिनत शाही पार्टियों से ज्यादा मनोरंजक और सुकून देने वाली होंगीं । अगर अच्छा न लगे तो पार्टी कर लेना और में भी आऊंगा तुम्हारी पार्टी में .....
☺बेटा आज्ञाकारी था ,पिता की बात मान गया सोचा चलो इस बहाने थोड़ा दान पुण्य हो जायेगा ।

अगले दिन बेटा अपने मित्र और पिता के साथ अनाथ आश्रम गया ,वहॉं बिन माँ बाप के बच्चों को देख उसका दिल भर आया बहुत देर तक वह उन बच्चों के साथ खुश रहा खूब मस्ती की बच्चों के साथ खेला उन्हें जरूरत्त का बहुत समान दिया ।सुबह से शाम कैसे हुयी पता ही नही चला ,बेटा मैन ही मन सोच रहा था वाकई मन को सच्चा सुकून मिला ।दोस्तों के साथ पार्टी करता तो उनके नखरे ये ठीक नही वो ठीक नहीं ।

अगले दिन बेटा अपने मित्र और पिता के साथ वृद्धाश्रम गया वहां भी उसे बहुत अच्छा लगा । वृद्धाश्रम से वापिस लौटते हुए बेटे की नज़र एक वृद्ध पर पड़ी ,उसे लगा अरे ये तो जाने पहचाने से लग रहे हैं ,वह उनके समीप गया जैसे ही उनको गौर से देखा ,अरे मेहता अंकल आप....यहाँ अंकल बोले बेटा अपना घर गिरवी रख कर बेटे को पढ़ाया था सोचा विदेश जायेगा बहुत पैसा कमा कर लायेगा और घर बच जायेगा एक बार आये थे थोड़े पैसे बेटी के ब्याह में लगा दिये। मैं अकेला अब सब के साथ रहता हूँ ,बहुत खुश हूँ यहाँ सब मेरे ही जैसे हैं ,उसने बहुत कहा अंकल आप मेरे साथ मेरे घर चलिये हम सब वहीं रहेंगे पर अंकल ने कहा ,मेरे जैसे बहुत सारे अंकल आन्टीयाँ हैं यहाँ किस -किस को ल् जायेगा । अंकल की बाते सुनकर बेटे कुछ नहीं बोल पाया । आत्मा में प्रश्न थे ,पर वह निशब्द था .......
अंकल से वादा जरूर किया कि वह उनसे मिलने अक्सर आता रहेगा


💐💐*कृषकों को नमन*💐💐

💐 **कृषकों को नमन**💐

💐💐सर्वप्रथम जीने के लिये *अन्न है आवयशक ।
* मैं कृषक मैं खेत जोतता हूँ उसमें बीज डालता हूँ
मेरी मेहनत रंग लाती है जब खेतों में फ़सल लहलहाती है
मेरे द्वारा उगाया गया अन्न सिर्फ मैं ही नहीं खाता हूँ
ना ही अन्न को गोदामों में भरता हूँ ,की कल मैं उसे ऊँची कीमत
पर बेच पाऊँ।💐

बस मेरी आवयशक आवयशकताएँ पूरी हो जाएं
मैं बस यही चाहता हूँ , पर कभी -कभी तो मैं साहूकार के
लोभ के कारण कर्ज में डूब जाता हूँ ।

मेरे परिवार की कई पीढ़ियों का जीवन कर्ज उतारते बीत
जाता है ,फिर भी वह कर्ज खत्म नही होता ।

*मैं किसान *अगर *अन्न नही उगाऊंगा तो सब भूखे मर
जाओगे ।
दो वक्त की रोटी के लिये ही मानव करता है
दुनियाँ भर के झंझट ।

अंत में पेट की क्षुधा मिटा कर ही पाता है चैन
एक वक्त का भोजन न मिले अग़र हो जाता है बैचैन

फिर जो हम मनुष्यों के लिये खेतों में उगाता है अन्न *
तपती धूप में कड़ी मेहनत , सर्दी गर्मी ,सूखा, या फिर
बाढ़ की मार ,किसानों को ही सहनी पड़ती है ।

माना कि कृषि किसानों का है पेशा
पर ये पेशा है धर्म मे सबसे ऊँचा ।*

मौसम की मार का मुआवजा देश आर्थिक सहायता से चुकाये
अपने देश के अन्नदाता ,भगवानो को बचाये ।

*किसानों का सम्मान करो उन पर अभीमान करो ।*

*दस्तान ऐ जिंदगी*

 💐💐खोजते रहे जिन्दगी भर ,मोहब्बतों के ठिकानों को ,
  ना ठिकाना मिला ना मोहब्बत मिली
   मिली तो बस तड़पते दिल की बेकरारी मिली
   मोहब्बत की चाहत तो मृगतृष्णा हुई ।
    फिर क्या था हमने स्वयं को ही मोहब्बत का
    फ़रिश्ता बना लिया ,मोहब्बत की अखण्ड जोत
    जला डाली ,अब मोहब्बते चिराग है जिससे रोशन
    हमारे जीवन का आफ़ताब है ।*💐💐

*💐सफ़र की शुरआत ही ,बड़ी हसीन थी 
फूलों के आशियाने में ,शूलों की भरमार थी ।
कहने को हम फूलों के संग थे ,पर हमारी 
मुलाकात तो हमेशा शूलों के संग हुयी ।
काँच की दीवारें थी, सच छुपाना मुश्किल था 
पर ना जाने कहाँ से हम में ये हुनर आ गया 
हमें दर्द छुपाकर मुस्कराना आ गया ।
जिन्दगी ने हमारे बहुत इनतिहान लिये 
हमें चलना भी नहीं आता था ,और हमें पथरीली 
राहों पर छोड़ दिया गया चलने के लिये, 
बस यूं ही गिरते सम्भलते हम चलना सीख गये 
जिन्दगी के सफ़र की शुरुआत इतनी आसान होती 
तो हम इस तरह दर्द लिये सरेआम ना होते।
जिस तरह सोना तप कर कुंदन बनता है ।
हम बिखर -बिखर कर निखर गये ।

*****उम्मीद की किरण*****


****उम्मीद ,👍ही तो है, जो मैदान छोड़कर जाते हुए को कहती है
चल एक कोशिश👍 ओर करके देखते हैं,
क्या पता? इस उम्मीद
के साथ शायद☺ इस बार हम जीत जायें ,और वही उम्मीद
हमारी कोशिश की चाबी होती है । जो हमारी किस्मत का
ताला खोलने वाली आखिरी चाबी होती है ।

*****उम्मीदें जिन्दगी की भी खास बात होती है।
हारने वाले के हमेशा साथ होती है ।

जीत की उम्मीद देकर हारते हुए को जीता देती है ,
डूबने वाले को तैरना सिखा देती है
आशा की किरण बनकर संघर्ष करना सिखा देती है ****


*💐💐अंतराल के बाद 💐💐*

💐💐



**** जहाँ दादी और पौतों में प्यार की बात है ,यहाँ यही बात सच है कि,असल से सूद अधिक प्यारा होता है ।
परन्तु इतने सालों का फांसला हो तो......सोच का परिवर्तन आवश्य होता है । यूँ तो दादी अपने पौते से बहुत प्यार करती थी ,परन्तु अपने पौते के मनमौजी स्वभाव से अक्सर नाराज़ रहती थी ।☺
💐क्योंकि दादी चाहती थी ,की जैसा मैं कहती हूँ , मेरा पौता वैसा ही करे ,वो अपने ढंग से अपने पौते को चलाना चाहती थी ।
*परन्तु परिवर्तन प्रकृति का नियम है *
दादी ने घर पर ग्रह शान्ति के लिये पूजा रखवाई थी  ,उनके पौते ने पूजा की सारी तैयारी करके दी ,पर दादी की इच्छा थी कि,उनका पौता पूजा की शुरुआत से लेकर पूजा खत्म होने तक पूजा में ही  बैठे ,  और धोती कुर्ता भी पहने । ....पर दादी भी थोड़ी ज्यादा ही जी जिद्द कर रही थी ,उनके पौते ने कभी धोती नही पहनी थी और न ही वो पहनना चाहता था । उसकी और दादी की ऐसी छोटी -मोटी बहस होती रहती थी  ।
पौता अपनी दादी से कह रहा था दादी कपडों से क्या होता है ,और पूजा -पाठ मन की सुन्दर अवस्था है ,क्या फर्क पड़ता है,भगवान हमारे कपड़ों को थोड़े देख रहा है । हम भगवान को कभी भी किसी भी समय कैसे भी याद कर सकते है ,दादी अपने पौते की बातें सुनकर थोड़ा परेशान हो कह रही थी ,ना जाने तुम कब समझोगे की भगवान की पूजा का क्या विधि विधान है, जरा भी त्रुटि हो जाये ना ,तो हमारे भगवान नाराज हो जाते हैं, पोता बोला .... दादी आपके भगवान बड़े जल्दी नाराज होते है ,क्यो ?
*वैसे तो हम गाते हैं ,तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो*,अब आप बताओ माता पिता अपने बच्चों से इतनी जल्दी नाराज हो जाते है क्या ?,उन्हें तो सिर्फ हमारी सच्ची भवनाएं और श्रद्धा ही चाहिए ..... इतने में पूजा जिन्होंने घर पर पूजा करनी थी वो पंडित जी आ गये ,पंडित समझदार थे।

 ,दादी जी की बातें सुनकर बोले दादी जी कोई फर्क नही पड़ता इन्हें इनके तरीके से चलने दो ,परीवर्तन प्रकृति का नियम है ।  *परिवर्तन चक्र निरन्तर अपनी धुरी पर घूम रहा है।
वक्त पल-पल बढ़ता जा रहा है।
सच है ,कि गुजर हुआ वक्त लौट कर
नहीं आता ।*
*अभी इस वक्त जो पल आपके पास है
कल वो पल नहीं होगा ,होंगे उसके जैसे
अन्य पल होगें ,जीवन का एक-एक पल
मूल्यवान है ,इसे व्यर्थ ना करें ,जीवन के
हर पल को भरपूर जियें ,कुछ ऐसे जियें
की आप खुद भी आनन्द में रहें ,और
आपके कारण दूसरे भी आनन्द मे रहें *
परिवर्तन का सबसे बड़ा उदाहरण है
*दिन और रात ,ऋतु परिवर्तन ,परिवर्तन
भी आवयशक है , आप ही सोचिये अगर
दिन के बाद रात न हो और दिन के बाद रात ना
हो तो कैसा जीवन होगा ।
ऋतु परिवर्तन ,गर्मी ,सर्दी ,
बरसात सभी तो आवयशक है
जीवन  के लिये ।
इसी तरह मनुष्य के विचारों
में भी परिवर्तन होता है।आवयशक नहीं की जो विचार मेरे है
 वही विचार आपके भी हों ।
और पीढ़ी दर पीढ़ी भी विचारों में
परिवर्तन होता है और स्वभाविक ही है।
आव्यशक नही की आपकी आने वाली पीढ़ी के विचार
आपसे मेल खायें, ऐसे में दोनों पीढ़ियों को चाहिये की
आपस में सामंजस्य बनाये ,एक दूसरे की भावनाओं की कदर करें ,स्वीकारें की परिवर्तन प्रकृति का नियम है ,अगर परिवर्तन नहीं होगा तो नीरसता भी आ सकती है ,और परिवर्तन यानि प्रग्रति ......💐💐  बशर्ते परिवर्तन में शुभ संस्कारों, सभ्य आचरण, अच्छे विचारों का हनन ना हो, हमारे हृदयों में परस्पर प्रेम की भावना का दीप सदा प्रज्वल्लित रहे **💐💐💐

💐💐जमाना ख़राब है 💐💐

💐💐कुछ लोग आँखों में पर्दे डाल लेते है ,
और कहते हैं कि ज़माना बड़ा खराब है

💐जमाना तो जैसा था ,और जैसा है वैसा ही रहेगा
...क्या पता ये आपके सोचने का .....
   नजरअंदाज करने का अंदाज हो
    बहाने बाजी की बात हो।👍

   क्योंकि जब पत्थर को तराश कर भी
    भागवान की मूर्ति बना पूजी जा सकती है तो
     तो क्या आप ही जैसे किसी इंसान की
      कमियाँ दूर नहीं की जा सकती ।💐

      खाक कहतो हो जमाना खराब है
       अजी ये तो आपके ही देखने का अंदाज है
        पर्दे के पीछे क्या है ,जमाने को भी
         आभास है ।।💐💐💐💐💐

💐💐 ** माँ एक वटवृक्ष**💐💐

 
***** माँ* वो वटवृक्ष है, जिसकी ठंडी छाँव में हर
           कोई सुकून पाता है ।
           माँ की ममता सरिता की भाँति , जीवन को पवित्रता,
           शीतलता, और निर्मलता देकर निरन्तर आगे बढ़ते
           रहने की प्रेरणा देती रहती है ।
           
            मेरा तो मानना है,माँ एक कल्प वृक्ष है ,जहाँ उसके
            बच्चों को सबकुछ मिलता है ,सब इच्छाएं पूरी होती
            हैं ।
           * कभी-कभी माँ कड़वी नीम भी बन जाती है ,
             और रोगों से बचाती है *
           * माँ *दया का सागर ,*अमृत कलश है*
        **दुनियाँ की भीड़ में ,प्रतिस्पर्धा की दौड़ में
           जब स्वयं को आगे पाता हूँ ।
          ये माँ की ही दुआओं का असर है
          जान जाता हूँ ,मैं।*
          वास्तव में माँ एक विशाल वृक्ष ही तो है ,
          जिस तरह *वृक्ष *मौसम की हर मार को सह कर
          स्वयं -हरा भरा रहता है ,और *मीठे पौष्टिक फल* ही
          देता है, ठीक उसी तरह एक *माँ *भी बहुत कुछ
           सहन करके एक सुसंस्कृत,सभ्य ,समाज की स्थापना               को अपनी *संताने* देती है******
           💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

    

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...