मनुष्य की स्वयं की सोच ही उसके सुख और दुःख का कारण बनती है **
किसी भी मनुष्य की सोच ही उसके सुख और दुःख का कारण बनती है मनुष्य जैसा सोचता है वैसा ही बनने लगता है ।
नकारात्मक सोच हर मानव को घिरे रहती है ,कहीं कुछ गलत न हो जाए ,कोई हमारे लिए बुरा सोचता होगा किसी ने हमारे लिए बुरा कर दिया तो .....
सब हमारे दुश्मन हैं हमारी तो किस्मत ही खराब है न जाने क्यों हमारे साथ ही सब गलत क्यों होता है हमारा क्या होगा हम जो काम करतें है कभी ठीक नहीं होता ।
हां -हां मैं तुम्हारी किस्मत हूं मैं तो कई बार तुम्हारे दरवाजे पर आईं तुम्हें आवाज भी दी पर तुम हर बार अपने ख्यालों में गुम नकरात्मक सोच के साथ मिले।
मैंने तुम्हारे अच्छे भाग्य ने तुम्हें कई बार समझाने की कोशिश भी की पर तुम नकारात्मकता से बाहर ही नहीं आये ।
चलो अभी भी देर नहीं हुई है कुछ नहीं बिगड़ा ना बिगड़ने वाला है ,हुम्हारी नकरात्मक सोच ही तुम्हें खाये जा रही है।
तुम्हें अंदर ही अंदर दीमक की तरह खोखला कर रही है चलो कुछ अच्छा सोंचे किस में इतना दम की हमारा कुछ बिगाड़ सके ,हम स्वयं अपने बादशह है
**हमारे विचार हमारी संपत्ति हैं क्यों इन पर नकारात्मक सोच का दीमक लगने दें चलो कुछ सोंचे कुछ अच्छा करें **
किसी भी मनुष्य की सोच ही उसके सुख और दुःख का कारण बनती है मनुष्य जैसा सोचता है वैसा ही बनने लगता है ।
नकारात्मक सोच हर मानव को घिरे रहती है ,कहीं कुछ गलत न हो जाए ,कोई हमारे लिए बुरा सोचता होगा किसी ने हमारे लिए बुरा कर दिया तो .....
सब हमारे दुश्मन हैं हमारी तो किस्मत ही खराब है न जाने क्यों हमारे साथ ही सब गलत क्यों होता है हमारा क्या होगा हम जो काम करतें है कभी ठीक नहीं होता ।
हां -हां मैं तुम्हारी किस्मत हूं मैं तो कई बार तुम्हारे दरवाजे पर आईं तुम्हें आवाज भी दी पर तुम हर बार अपने ख्यालों में गुम नकरात्मक सोच के साथ मिले।
मैंने तुम्हारे अच्छे भाग्य ने तुम्हें कई बार समझाने की कोशिश भी की पर तुम नकारात्मकता से बाहर ही नहीं आये ।
चलो अभी भी देर नहीं हुई है कुछ नहीं बिगड़ा ना बिगड़ने वाला है ,हुम्हारी नकरात्मक सोच ही तुम्हें खाये जा रही है।
तुम्हें अंदर ही अंदर दीमक की तरह खोखला कर रही है चलो कुछ अच्छा सोंचे किस में इतना दम की हमारा कुछ बिगाड़ सके ,हम स्वयं अपने बादशह है
**हमारे विचार हमारी संपत्ति हैं क्यों इन पर नकारात्मक सोच का दीमक लगने दें चलो कुछ सोंचे कुछ अच्छा करें **