तूफानों का आना भी
कुदरत का नियम है ।
क्योंकि तूफ़ान भी तब
आते हैं ,जब वातावरण
में दूषित वायू का दबाब
बढ जाता है।
ठीक इसी तरह मनुष्यों
के जीवन में भी तूफ़ान आतें हैं।
तूफानों का आना भी स्वभाविक है ।
जिस तरह कुछअन्तराल के बाद
विष का असर नज़र आने ही लगता है ।
फिर इल्जाम लगाना
जब सीमायें ही नहीं बाँधी
तो बाँध के टूट जाने का
कैसा डर?
कभी नहीं हुआ कि
काली घनी अँधेरी रात के
बाद दिनकर से प्रकाशित
सुनहरी ,चमकीली ,तेजोमयी
सुप्रभात ना आयी हो।
प्रकृति अपने नियम
कभी नहीं तोड़ती
मनुष्य ही अपनी हदें पार
कर जाता है ,और इल्जाम
दूसरों पर लगता है ।
आखिर कब तक सहे कोई
विष चाहे कैसा भी हो
असर तो दिखायेगा ही ।
कहते भी हैं ना ,बोये पेड़ बबूल
का तो आम कहाँ से आये ।
फिर सोचिये जैसा बोएँगे
वैसा फल मिलेगा ।
कुदरत का नियम है ।
क्योंकि तूफ़ान भी तब
आते हैं ,जब वातावरण
में दूषित वायू का दबाब
बढ जाता है।
ठीक इसी तरह मनुष्यों
के जीवन में भी तूफ़ान आतें हैं।
तूफानों का आना भी स्वभाविक है ।
जिस तरह कुछअन्तराल के बाद
विष का असर नज़र आने ही लगता है ।
फिर इल्जाम लगाना
जब सीमायें ही नहीं बाँधी
तो बाँध के टूट जाने का
कैसा डर?
कभी नहीं हुआ कि
काली घनी अँधेरी रात के
बाद दिनकर से प्रकाशित
सुनहरी ,चमकीली ,तेजोमयी
सुप्रभात ना आयी हो।
प्रकृति अपने नियम
कभी नहीं तोड़ती
मनुष्य ही अपनी हदें पार
कर जाता है ,और इल्जाम
दूसरों पर लगता है ।
आखिर कब तक सहे कोई
विष चाहे कैसा भी हो
असर तो दिखायेगा ही ।
कहते भी हैं ना ,बोये पेड़ बबूल
का तो आम कहाँ से आये ।
फिर सोचिये जैसा बोएँगे
वैसा फल मिलेगा ।
बिल्कुल सही कहा आपने
जवाब देंहटाएंहरकरन चौहान
From इटावा उ० प्र०
जब सीमायें ही नहीं बाँधी
जवाब देंहटाएंतो बाँध के टूट जाने का
कैसा डर?
वाह!!!
क्या बात
बहुत ही सुन्दर।