**उपयोगिता और योग्यता**
*योग्यता ही तो है ,जो
अदृश्य में ,छुपी उपयोगिता को
जन्म देती है।*
* वास्तव में जो उपयोगी है वो शाश्वत है
उपयोगी को योग्यता ही तराशती है ।
जो उपयोगी है, वो सवांरता है, निखरता है
और समय आने पर अपना अस्तित्व दिखाता है
योग्यता ही अविष्कारों की दात्री है।
आवयशकता जब-जब स्वयं को तराशती है
असम्भव को सम्भव कर देती है
युगों-युगों तक अपने छाप छोड़ने में सफल होती है
गहराइयों का शोध आवयशक है
वायुमंडल में तरंगे शास्वत हैं।
उन तरंगों पर शोध, योग्यता से सम्भव हुआ
योग्यता ने तरंगों के माध्यम से
वायुमंडल में एक खुला जहाँ बसा दिया ।
वायु,ध्वनि,तरंगों का अद्भुत संयोग
योग्यता ने तरंगों की रहस्यमयी शक्तियों का भेद बता दिया ।
तरंगों के अद्भुत सामंजस्य ने तरंगों से तरंगों का मेल मिला दिया
आधुनिक समाज की नींव ही तरंगों पर टिकी है
शब्द हैं भी ,और नहीं भी ,
तरंगों की नयी दुनियाँ ने सम्पूर्ण समाज मे हलचल सी मचा दी
है । तरंगों की तरंगों तक पहुँच ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है।
वास्तव में तरंगों ने खुले आसमान में एक दूसरा जहाँ बसा दिया है।
*योग्यता ही तो है ,जो
अदृश्य में ,छुपी उपयोगिता को
जन्म देती है।*
* वास्तव में जो उपयोगी है वो शाश्वत है
उपयोगी को योग्यता ही तराशती है ।
जो उपयोगी है, वो सवांरता है, निखरता है
और समय आने पर अपना अस्तित्व दिखाता है
योग्यता ही अविष्कारों की दात्री है।
आवयशकता जब-जब स्वयं को तराशती है
असम्भव को सम्भव कर देती है
युगों-युगों तक अपने छाप छोड़ने में सफल होती है
गहराइयों का शोध आवयशक है
वायुमंडल में तरंगे शास्वत हैं।
उन तरंगों पर शोध, योग्यता से सम्भव हुआ
योग्यता ने तरंगों के माध्यम से
वायुमंडल में एक खुला जहाँ बसा दिया ।
वायु,ध्वनि,तरंगों का अद्भुत संयोग
योग्यता ने तरंगों की रहस्यमयी शक्तियों का भेद बता दिया ।
तरंगों के अद्भुत सामंजस्य ने तरंगों से तरंगों का मेल मिला दिया
आधुनिक समाज की नींव ही तरंगों पर टिकी है
शब्द हैं भी ,और नहीं भी ,
तरंगों की नयी दुनियाँ ने सम्पूर्ण समाज मे हलचल सी मचा दी
है । तरंगों की तरंगों तक पहुँच ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है।
वास्तव में तरंगों ने खुले आसमान में एक दूसरा जहाँ बसा दिया है।
वायु,ध्वनि,तरंगों का अद्भुत संयोग
जवाब देंहटाएंयोग्यता ने तरंगों की रहस्यमयी शक्तियों का भेद बता दिया ।
तरंगों के अद्भुत सामंजस्य ने तरंगों से तरंगों का मेल मिला दिया
आधुनिक समाज की नींव ही तरंगों पर टिकी है
शब्द हैं भी ,और नहीं भी ,
तरंगों की नयी दुनियाँ ने सम्पूर्ण समाज मे हलचल सी मचा दी
आवश्यकता ही सभी अविष्कारों की जननी हैं। बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय ज्योति जी रचना पड़ने और सरहाने के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआदरणीय ज्योति जी रचना पड़ने और सरहाने के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवास्तव में तरंगों ने खुले आसमान में
जवाब देंहटाएंएक दूसरा जहाँ बना दिया है.....
सुन्दर सार्थक प्रस्तुति......
आदरणीय सुधा जी आसमानी तरंगों के कारण ही तो आज आप हम सब एक दूसरे से अपनी-अपनी बात कह पा रहे हैं ।और विचार-विमर्श कर पा रहे हैं
जवाब देंहटाएंसत्य कहा ऋतु जी जो उपयोगी है वही योग्य है किन्तु वर्तमान परिवेश में यह सत्य देखने को नहीं मिल रहा है आप "योग्य को उपयोगी कहें अथवा उपयोगी को योग्य परन्तु आपकी रचना आशा के नए आयाम गढ़ती है ,उम्दा विचार। आभार "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंसत्य कहा ध्रुव जी रचना पढ़ने और यथायोग्य टिप्पणी द्वारा मनोबल बढ़ाने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंकयोंकि एक स्वस्थ टिप्पणी भी आशा के नये आयाम खोलती है ।