*भारत का सर्जिकल ऑपरेशन*

भारत का सर्जिकल ऑपरेशन *


देश के रक्षक सर्वप्रथम सम्मानीय
 भारतीय सेना के समस्त वीर जांबाज सैनिकों को मेरा सहृदय धन्यवाद ।......धन्यवाद यह शब्द बहुत संकीर्ण हैं ,देश के रक्षकों के लिये ,यह वो महान लोग हैं जो अपने देश की रक्षा के लिये अपने घर परिवार से लम्बे समय तक दूर रहते हैं कई -कई महीने हो जाते हैं इन्हें माँ ,बाप पत्नी ,बहिन और बच्चों से मिले हुए ,क्या इन वीर देश के रक्षकों को अपनी माँ ,की पत्नी की ,बच्चों की याद नहीं आती होगी ........आती है पर इसलिये की हम यानि मात्र भूमि का प्रत्येक परिवार अपने-अपने घरों में सुरक्षित जीवन जी सके ..ये जांबाज देश के रक्षक अपनी जान की परवाह किये बिना अपनी" जान हथेली पर लेकर सिर पर कफ़न बाँध कर शान से सीमाओं पर पहरा देते हैं ।

मेरी सोच तो यह कहती है ,कि अगर सर्वप्रथम सम्मानीय ,और सबसे ऊँची पदवी कोई है तो अपनी मात्र भूमि के रक्षक वीर सैनकों की ।

अभी कुछ ही दिन पहले भारतीय सनिकों द्वारा आतंकवाद के खिलाफ जो सर्जिकल स्ट्राइक हुई है ,वह अपने आप में बहुत बेहतरीन कदम था भारतीय सैनिकों का ।
आखिर कब तक आतंकवाद का शिकार होते रहेंगे निर्दोष हम लोग । बहुत ही न्यायपूर्ण था यह सर्जिकल ऑपरेशन .... इस विषय में किसी भी बहस की आव्य्शाकता नहीं ....अपनी रक्षा करना हमारा स्वयं का अधिकार है ,आखिर कब तक इतना घिनौना खेल सह सकता है कोई ,हमारे ही देश की सीमाओं में छुप कर हम पर ही वार ।
बहुत हो चुका यह आतंकवाद का घिनौना खेल ।
मेरा तो कहना है ऐसे सर्जिकल ऑपरेशन भारतीय सेना द्वारा होते रहने चाहियें ,ये थोड़े की कोई भी आतंकवादी रुपी जंगली जानवर हमारे घर में घुस आये और हमारे ही परिवार के सदस्यों को मार डाले
और हम उस आतकंवादी जंगली जानवरों को यूँ ही छोड़ दे ।अगली बार फिर आना और हमें भी खा जाना वाह ऐसा तो नहीं होने देंगे ।
इस विषय में मै आदरणीय प्रधानमंत्री जी की सरहना करूंगी की उन्होंने इस ऑपरेशन की सहमति दी  ।कुछ लोग इसे राजनीति से जोड़ रहे हैं ।
राजनीति हो या जो कुछ भी पर देश की सुरक्षा के लिए उठाया गया यह कदम सरहनीय है। अगर आव्य्शकता पड़े तो आगे भी यह कदम भारतीय सेना उठाती रहे । अब बहुत पी लिया आतंकवाद का जहरीला जहर बस अब और नहीं ।।।।।।



"केनवास जीवन के "

जीवन क्या है,मैं आज तक,
 समझ के भी समझ ना पाया ।
जीवन कभी निर्मल ,निर्द्वन्द
निश्छल ,सरल सी प्रतीत होता है ।

और फिर कभी द्वंदों के सैलाब
से लड़ता ,तूफानों में अपनी जीवन
की कश्ती को सम्भालता ।

कभी जेठ की तपती धूप में सुलगता
शीतलता को तरसता ।
फिर वहीँ कभी जाड़े की
सिरहा देने वाली सर्दी में
 दिनकर की तपिश से
स्वयं को सुकून दिलाता ।

जीवन का सिलसिला समझ के
भी समझ नहीं आता ।
हम आयें हैं ,तो जाना क्यों ?
जाना है तो आये क्यों?
शायद ये बात भी सच है
जीवन एक सराय है हम
मुसाफ़िर ,अपने सफ़र को क्यों
ना सुहाना बनाये ,क्यों मोह माया के
चक्कर में अपने सफ़र में कड़वाहट भरें ।

जब हम सब ही मुसाफिर हैं
तो फिर चलो अपने-अपने जीवन के
केनवास में सुन्दर रंग भरें
ताकि हमारे केनवास हमारे इस दुनियां
से चले जाने के बाद आने वाली पीड़ी
के लिये एक सुन्दर मिसाल बने ।


" माँ आदिशक्ति"


           "माँ आदिशाक्ति "

“माँ
आदि शक्ति ” भारत देश एक ऐसा देश है, जहाँ दिव्यशक्ति जो इस सृष्टि का रचियता है,विभिन्न अवतारों रूपों में आराधना की जाती है । परमात्मा के विभिन्न अवतारों के कोई ना कोई कारण अवश्य है ,जब -जब भक्त परमात्मा को पुकारतें हैं ,धरती पर पाप और अत्याचार अत्यधिक हो जाता तब परमात्मा अवतार लेते हैं और धरती को पाप मुक्त करतें है। हमारे यहाँ जगदम्बा के नवरात्रे की भी बड़ी महिमा है ,जगह -जगह जय माता दी ,के जयकारे ,माता के जागरण चौकी ,माता की भेंटों से गूंजते मंदिर ……..पवित्र वातावरण सजे धजे मंदिर मातारानी का अद्भुत श्रृंगार लाल चुनरिया लाल चोला, लाल चूड़ियाँ ,निहार माँ के लाल होते है ,निहाल । माँ का इतना सूंदर भव्य स्वागत ये हमारा देश भारत ही है ,जहाँ माँ का स्थान सबसे ऊँचा है ,फिर चाहे वो धरती पर जन्म देने वाली माँ हो ,या जगत जननी , क्यों न हो वो एक माँ ही तो है ,जो दृश्य या अदृशय रूप से अपनी संतानो का भला ही करती है । कहतें हैं ,धरती पर जब पाप और अत्याचार ने अपनी सीमायें तोड़ दी थी ,साधू सज्जन लोग अत्यचार का शिकार होने लगे थे,चारों और अधर्म ही अधर्म होने लगता था,तब शक्ति ने अधर्म का नाश करने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया था, पापियों और राक्षसों का अंत किया,और फिर से धर्म की स्थापना की ,राक्षसों का अंत करने के लिए माँ को कई रूप धारण करने पढे ,माँ गौरी ,माँ दुर्गा , अम्बे ,माँ काली आदि माँ आदिशक्ति कई नामो जानी जाती है । माँ अन्नपूंर्णा बन अपनी संतानों का पालन पोषण करती है , तो कभीमाँ सरस्वती का रूप धारण कर अपनी संतानों में ज्ञान के बीज बोती है, तो वहीँ लक्ष्मी बन जगत को सुख समृद्धि प्रदान करती है। माँ हमेशा से पूजनीय है , नवरात्रों में देवी की पूजा का विशेष महत्व है , नवरात्रों में गुजरात में गरबा का विशेष महत्त्व है । कोल्कता में काली माँ की पूजा ,बंगाली समुदाय द्वारा काली पूजा बड़े ही पाराम्परिक ढंग से व् श्रद्धा से की जाती है । हमें जन्म देने वाली.माँ को भी हमें उतना ही सम्मान देना चाहिए ,क्योंकि धरती पर सर्वप्रथम माँ ने ही हमें समर्थ बनाया ।

"शक्स्यितें"

           "शक्सियतें"
    **    **    **    **
श्कसियतें यूँ ही नहीं बनती कुछ तो होता है ।** ख़ास ** दीपक का प्रकाश माना की श्रेष्टतम होता है ।
पर जो सितारा है ,वो चाहे  कितना भी दबा रह अंधियारे में  जब उजागर होता है तो प्रकाश ही देता है । उसे कौन बुझा सकता है ,जो स्वयम ही शोला हो ।

यूँ तो सभी नेता भाषण के जरिये बड़ी-बड़ी बातें करते आये हैं ,बड़ी-बड़ी योजनाएं हमें ये करना है ।हम ये करेंगे ।फलाँ -फलाँ योजना के लिये लाखों करोड़ों के बजट बिल पास करना इत्यादि ।माना की पैसे से बड़े से बड़े काम होते हैं ,पैसा प्रत्येक मानव की जीविकोपार्जन की प्रथम आवयश्कता भी है ।
परन्तु आज मोदी जी के भाषण की एक बात बहुत सटीक लगी कि  "स्वछता अभियान" के लिये किसी बड़े बजट  की आव्य्शाकता नहीं ।यह बात बिलकुल सटीक है ।
जिस तरह हम लोग अपने -अपने घरों को साफ़ करते है और अपने घरों का कूड़ा घरों के बहार इस तरह फेंकते हैं  जैसे देश तो हमारा कुछ हो ही ना ।
अरे अगर अपने देश की अपनी स्वयम की तरक्की चाहते हो तो यह देश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेवारी है कि अपने -अपने घरों की तरह अपने देश को भी स्वच्छ रखें ।
घर हमारा है तो देश भी हमारा ही है .......


*निधियाँ*


     * " निधियाँ" *
          *   *    *
 विधियाँ जिनसे मिलती हैं
         निधियाँ  ।
यूँ तो जिन्दगी भर भटकता
है मनुष्य , उलझता ,लड़ता ,मरता
क्या-क्या नहीं करता है मनुष्य
पर नहीं अपनाता सही विधि ।
उच्च संस्कार और नैतिक गुणों का
संग है ,उत्तम विधि ,पाने को
वास्तविक निधि ।
उच्च संस्कार ,नैतिकता , हैं हमारी
वसीयत, प्राप्त हुई विरासत में ।
ये मुल्य नही मूल्यवान धरोहर हैं
जिनसे बनता हमारा जीवन कल्प
सरोवर है ।




*फौजी *


फौजी “


एक माँ की पीड़ा , जिसका बेटा फौजी बनता है ,यह एक माँ की ही नहीं उन सभी माँओंओं की  बहनों की पत्नियों की की दिल की आवाज है ,जिनका बेटा, भाई ,या पति देश की रक्षा के लिए ,फ़ौज में भर्ती होता है ।
एक फौजी के परिवार के अंतः करण की मर्मस्पर्शी पीड़ा ,कुछ बाते जो अपने बेटे को फ़ौज की वर्दी में देख माँ के हृदय में निकलती हैं ,   माँ का मस्तक गर्व से ऊँचा हो जाता है , चेहरे की चमक बढ़ जाती है , हृदय से अनगिनत आशीषें देती माँ अपने बेटे को स्वदेश की रक्षा के लिए उसके कर्तव्य पथ पर अडिग रहने की प्रेरणा देती है ।
वहीँ दूसरी और माँ के हृदय में एक पीड़ा एक डर जो उसे हमेशा सताये रहता है ,जुग-जुग जय मेरा लाल न जाने कितनी दुआयें देती माँ हर पल हर क्षण परमात्मा से प्रार्थना करती है अपने लाल अपने जिगर के टुकड़े की सलामती की दुआयें माँगती रहती है एक फौजी की माँ कोई साधारण माँ नहीं होती वह महानात्मा होती है ।
आज जहाँ आतँकवाद ने सम्पूर्ण विश्व में आतंक फैला रखा है ,विनाश ही जिनका धर्म है ।बस अब और नहीं ,बंद होना चाहिए ये आतँकवाद का घिणौना खेल ।
अब विश्व के समर्थवान देशों को एकजुट होकर आतंकवाद को जड़ से खत्म कर देना चाहिए
आखिर कब तक निर्दोष निरापराधी यूँ ही बलि का बकरा बनते रहेंगे ।
जब एक फौजी अपने देश की रक्षा करते हुए वीर गति को प्राप्त होता है ,तब उसके परिवार वालों पर क्या बीतती है …..
माँ की तो आँखों का तारा ही लुप्त हो जाता है उसकी सारी दुनियाँ ही अँधियारी हो जाती है।
पत्नि की हृदय गति ही रुक जाती है ,
मानो सारी दुनिया ही थम जाती है ,आँखें पथरा जाती हैं
सब कुछ अस्त व्यस्त हुआ ,ना जिन्दा में ना मुर्दा में
जीने का मक्सद ही छिन गया  उनका तो सर्वस्व ही छिन गया
बस और नहीं बस और नहीं आतँक खेल अब खत्म करो
निर्दोष मासूमों पर कुछ तो रहम करो ।।

**यूँ ही बेवजह मुस्कराया करें **

      "यूँ ही बेवजह मुस्कराया करो"

यूँ ही बेवज़ह भी मुस्कराया करो ,

माहौल को खुशनुमा भी बनाया करो ।

मुस्कराने के भी कई कारण होते हैं ।

कोई खुश होके  मुस्कराता है ,तो कोई दर्द छिपाने  के लिए मुस्कराता है ।

यूँ ही हम बेवज़ह नहीं मुस्कराते , दिल की उदासी कहीं सरेआम ना हो जाए

इस लिए ही तो खुशियाँ लुटाते हैं ।

मुस्कराने की वजह हमारी ख़ुशी है, ये सच नहीं

दर्द जो रोकर दिखाता है ,वह ही दुखी नहीं होता,

रोने वाले का दर्द तो आसुंओं के साथ बह  जाया करता है,।।

किन्तु जब दर्द बेहिसाब हो जाता है , तब कभी -कभी मुस्करा कर भी दर्द छिपाये जाते है

आखिर कब तक रोये कोई  ……..

क्योंकि कहतें हैं ना ,रोने वाले के साथ कोई नहीं रोता ,

हँसने वाले के साथ सब हँस लिया करतें हैं

ज़माने में कुछ लोग ऐसे भी हैं ,जो मुस्कराने से भी जलते हैं ,

उनसे कहे कोई ,   मुस्कराहट तो एक पर्दा है ,

पर्दा हटायें और दर्द की महफ़िल में शामिल हो जाएँ ।



आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...